Hello > Poetry
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Deovrat Sharma
Poems
Oct 2018
मोगरे की कली
●●●
मोगरे की कली
मुश्क़अफसां
अधखिली।
गुन्चा-ओ-गुल
की कशिश
उन अदाओं में है।।
है वो मासूम सी
और बेहिस है वो।
शोख़ अंदाज़ है
कुछ नज़ाकत भी है।।
अब बशर
कोई ऐसा
कहाँ है यहाँ।
जो सुनता
समझता हो
खामोशियाँ।।
मान लो
कुछ तो है जो
बोहत ख़ास है।
दिल जो घायल
हुआ उसकी
चाहत में है।।
●●●
©deovrat 09.10.2018
मुश्कअफ्शां=spreading fragrance
बेहिस=insensitive
Written by
Deovrat Sharma
58/M/Noida, INDIA
(58/M/Noida, INDIA)
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
189
Deovrat Sharma
Please
log in
to view and add comments on poems