होता है आना जाना, लोगों का यहां। पराये और कुछ अपने, लोग हैं यहां। कहने को तो साथ हैं, पर हैं सब बहुत दूर। दुख में पता चलेगा, की वो हैं कितने मगरूर। साथ निभाने की कहते, पर दे ना सकते साथ। मुश्किल यदि कोई आजाए, जाते बैठ रख हाथ पे हाथ। कहने को तो हैं अपने, पर हैं तो वही पराए। सामने तो हें अच्छे, पीछे दुश्मनी निभाएं। मुंह पे बनते बहुत ही अच्छे, अकल के हैं पर ये तो कच्चे। औरों को झूठा बताते हैं, और खुद की शान भड़ाते हैं। कर लेते केसे ये सब, हम तो समझ ना पाते हैं। हम तो दोस्त बनाते हैं, वो मौके पे घात लगाते हैं। वो अपनी करनी का फल पाएंगे, और पीछे फिर पछताएंगे।