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Shrivastva MK
Poems
Sep 2018
विवाद क्या करना..
जो कभी थे ही नहीं हमारे उन्हें फ़िर याद क्या करना,
हमारी खुशी तो दर्दों में छिपी है फिर खुशी के लिए फरियाद क्या करना,
सुबह उठते ही सारे ख़्वाब टूट कर बिखर चुके थे हमारे,
फिर हर रोज ख़्वाबे सजाने में वक़्त बर्बाद क्या करना,
लोग तो कल भी नही सुनते थे हमारे और आज भी नही सुनते,
फ़िर अपनी बातें सुनाने के लिए किसी से विवाद क्या करना,
आजकल तो मोहब्बत में सिर्फ़ आँसू ही नसीब होते है साहब,
फिर मोहब्बत को समझने के लिए इसका अनुवाद क्या करना,
हम तो कल भी गलत थे और आज भी गलत है,
फ़िर खुद को सही बताने के लिए किसी से संवाद क्या करना,
ना कद्र है ना क़वायद है प्यार की इस दुनियां में,
फ़िर ख़ुद को मोहब्बत में आबाद क्या करना.......
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Written by
Shrivastva MK
23/M/INDIA
(23/M/INDIA)
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