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Shrivastva MK
Poems
Aug 2018
कत्ल-ए-आम..
आपके लिए मैं ख़ुद को गज़ल-ए-शाम कर दूँ,
आँखों से टपके अश्क़ को मोहब्बत-ए-ज़ाम कर दूँ,
क्यों डरते हो आप इस गम-ए-जुदाई से मेरे यारा
आ उस डर को मिट्टी में मिला श्मशान कर दूँ,
इस बेजुबां दिल में छिपी प्यार की वसीयत को
आ हमेशा के लिए उस नादां दिल के नाम कर दूँ,
खुशी की ख्वाईश नही हम गम बाँट कर ही मुस्कुरायेंगे,
आ मिलकर इस वादें को भी हमनाम कर दूँ,
ख्वाइशें नही की हो जाऊं मशहूर आपके इश्क़-ए-क़रार में,
आ आपकी मोहब्बत में ख़ुद को बदनाम कर दूँ,
अब तो होठों से निकली हर लफ्ज़ आपकी याद में गज़ल बन जाती,
आ उस गज़ल को भी इस दुनिया के सामने सरेआम कर दूँ,
गर हो कोई ग़म का साया हमारी इस छोटी ज़िन्दगी में,
आ उसे भी इस ज़िन्दगी से क़त्ल-ए-आम कर दूं........
Written by
Shrivastva MK
23/M/INDIA
(23/M/INDIA)
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