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Aug 2018
रंगीन सी थी कुछ शाम वो,
उस आशिक से जब मुलाक़ात हुई थी,
धीरे से वो पास आया,
और हल्की सी कुछ बात हुई थी।

सांसें थम सी गईं मेरी,
क्यूंकि सावन कि पहली बरसात हुई थी,
क्या हुआ कुछ समझ नहीं आया,
मानो जैसे सावन ने हमें मिलाने की कोई कहानी लिखी हुई थी।

नहीं थी अकल मुझमें,
इसको में प्यार समझ बैठी थी,
पर आँख खुली तो होश आया,
ये तो मुझे बरबाद करने की उसी ने साजिश रची हुई थी।

शायद मेरा वक़्त खराब था,
जब उस से इंसान मोहब्बत हुई थी,
मैंने तो हज़ार सपने देखे हुए थे,
की उसने मुझे ही आग लगाने की रुचि तैयार की हुई थी।

नहीं बना वो मेरे लिए,
खुद को में समझाए हुए बैठी थी,
वाह - वाह सुनने को मिल रही थी उसे,
क्यूंकि उसने इतनी शातिर हरकत जो कि हुई थी।
Riya jain
Written by
Riya jain  17/F
(17/F)   
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   Shruti Dadhich
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