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Shrivastva MK
Poems
Aug 2018
ज़ख्मो से भरे दिल
आज भी उनके पुराने ज़ख्मो से भरा है ये दिल,
जब भी आती वो पुरानी यादें रो पड़ा है ये दिल,
अरे कौन कहता कि नए लोगों से पुराने दर्द कम हो जाते है,
लोग खो कर मरते है पर किसी को पाकर भी मरा है ये दिल,
अंदर ही अंदर घुट घुट कर हम उन्हें माफ करते गए,
और उन्हें लगा कि मेरे पास बहुत बड़ा है ये दिल,
कभी मोहताज़ थे हम उनकी मोहब्बत-ए-इज़हार को,
पर आज तो उनके लिए सिर्फ़ नफ़रतों से भरा है ये दिल,
ज़िन्दगी चन्द लम्हों की होती और हम सपनें सात जनम के देखते,
भला कोई ये तो बताये की क्या किसी का इस जनम से भरा है ये दिल,
कभी लड़ते थे हम खुदा से किसी के मुस्कान के लिए,
पर आज ख़ुद की मुस्कान के लिए खुद से ही लड़ा है ये दिल,
नम आँखों के साथ लिखी है हमनें भी वो पुराने ज़ख्म,
क्या करें साहब आज बहुत टूट टूट कर खड़ा है ये दिल...
कितने भी छुपाओ पर ये सिलसिला कहाँ थमने वाला...
Written by
Shrivastva MK
23/M/INDIA
(23/M/INDIA)
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