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Jul 2018
ऐ मेरे साथिया ज़िन्दगी के रंगमंच का पूरा सफ़र बाकी है,
दर्द की बातें बहुत हुई बस प्यार का थोड़ा असर बाकी है,

एक छोटे से घर मे गम मिला तो क्या हुआ,
देखने के लिए तो अभी पूरा शहर बाकी है,

आप क्यों रोते हो हर छोटी छोटी बातों पर,
अभी तो मेरे ज़ज्बातों का पूरा कसर बाकी है,

बस थोड़ी सी पी थी हमने जाम प्यार का,
अभी तो प्याली मे रखी पूरी ज़हर बाकी है,

कौन कहता है लोगों से तबाह हो गई मेरी ज़िन्दगी,
सब्र कर पगले अभी तो कुदरत का पूरा क़हर बाकी है,

पलभर के दर्द से क्यों होते हो परेशान साहब,
अरे खुशी के लिए तो अभी पूरा पहर बाकी है,
पूरा पहर बाकी है........
Shrivastva MK
Written by
Shrivastva MK  23/M/INDIA
(23/M/INDIA)   
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