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Jun 2018
लिखें क्या वक़्त का तकाज़ा है,
दर्द काल भी था आज भी ताज़ा है,
लेखक की दुनिया भी है अजीब,
आँसुओ की स्याही के है हम करीब,

चंद शब्दों को सजा एक अलग दुनिया है बनाते,
लेखक होठों से नही इस स्याही से प्यार है जताते,
शब्दों को तरासने की कला बखूबी जानते है,
ये समुन्दर में छुपी मोती को भी पहचान लेते है,

हवाओं से लिपटी सिसकियां,
करती है दर्द हमारा बयां,
कागज़ पर हमने भी ज़िन्दगी लिखी,
अश्क़ों से आपकी खुशी की दुआ की,

ज़िन्दगी का मतलब तो ये लेखक ही सीखाते,
प्यार का खूबसूरत परिभाषा है बनाते,
एक शब्द के हज़ार मतलब बता जाते है,
अल्फ़ाज़ों के साथ जीना सीखा जाते है,

कहदे दर्द-ए-दिल की दास्तान भी अपनी ही आह,
पर सुननी पड़ती है लोगों की वाह वाह,
चलते है अंगारो पर
मुस्कान की चादर ओढ़कर,

मुस्कुराना हमारी मज़बूरी होता है,
पर दुनिया के लिए शायद ये जरूरी होता है,
लोग कहाँ समझ पाते है दर्द उस कलम का,
जिसमे छुपा है राज़ जीवन-मरण का,

कलम में बसती है लेखक की जान,
वही समझे उसकी पहचान,
जीने का सहारा है कलम,
दर्द में बनती है मरहम,

जब दर्द बेहद गहरे हो जाते है,
जब इन आँखों में सिर्फ अश्क़ों के पहरे रह जाते है,
तब लेखक अपनी कलम है उठाते,
अपने दर्दों को अपने स्याही से है सजाते.....
hellopoetry.com/SoniaParuthi
Shrivastva MK
Written by
Shrivastva MK  23/M/INDIA
(23/M/INDIA)   
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