मेरी असली दौलत तो मेरी माँ है, तेज धूप में माँ तू सुनहरी छाव है, तेरे चरण जिस चौखट को स्पर्श करें उस घर में माँ सिर्फ खुशियों का बहाव है,
तेरे आँचल में माँ हमारी दुनिया दिखती है, तेरी भोली सूरत माँ दुर्गे की मूरत लगती है, तू मुस्कुराये तो खिल जाते मुरझाये फूल भी, तेरे होने से ही ये सारी दुनिया चलती है,
माँ हर जन्म तक हम तेरे कर्जदार है, तुझसे ही हर घर एक सफल परिवार है, तू है तो हर घर मे माँ लक्ष्मी का वास है, तू नही तो ये दुनिया भी अधूरा संसार है,
माँ भी रो देती है जब उसके बच्चे रोते है, हम कितने भी बड़े हो जाये पर माँ के लिए हम सदा बच्चे ही होते है, भूल कर भी ना रुलाना माँ को क्योंकि, यही हमारी दुनिया और इन्ही से हमारे पल शुरु होते है,