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Jun 2018
कौन कहता है कि दर्पण झूठ नहीं बोलते , मैंने लाख गम छिपाये थे
फिर भी चेहरे पर हंसी दिखाया आईना।।

इंसानियत यहाँ हमने मरते देखा है , बाप घर के बाहर
और घर में कुत्ते देखा हैं।।

दुनिया जान गयी है कि उसको चोट लगा है,
क्योंकि उसे चिल्लाना आता था,
मेरे आघात को किसी ने न समझा
क्योंकि मुझे खामोशी भाँति थी।।

मेरी हर बात उसको खलती है,
फिर भी वो मेरी ही राहो मे चलती हैं।

किताब-ए-इश्क पढ़कर भूलाा दिया हमने
न किसी से शिकवा, न गीला किया हमने
पूछा जो किसी ने मेरी दास्तान-ए-मौहब्बत
एक चिराग जलाकर, बुझा दिया हमने।।

माँ का आँचल काफी था, बचपन में धूप से बचने के लिए,
अब तो ये टोपी भी कोई काम नहीं देती।।

मैं जानता हूँ नमक मिलेंगे जख्म पर मेरे
क्योंकि मुझे सच बोलने की आदत जो है।।

उंगली उठ जाती है सभी की, एक गलती पर
उसके हजारों अच्छाईयाँ नजर नहीं आती
ये कलयुग है मेरे दोस्त …
यहाँ सच्चाईयाँ नजर नहीं आती।।

कुछ चीज तुम्हें भी अच्छा लगता होगा मेरा
इसलिए अक्सर मेरे खिलाफ खड़े होते हो।।

दोस्ती हमसे सोच-समझकर करना दोस्तों,
दुश्मनी भी हम बहुत सलीके से निभाते हैं।।
Avanish maurya
Written by
Avanish maurya  17/M/Delhi
(17/M/Delhi)   
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