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Jun 2018
वो तो काबिल थे सही का शुमार कर लेते।
मेरी गलती थी तो उसमें सुधार कर लेते।।

अगर कोई न हो तेरा यहां सुनने वाला।
तो ये बेहतर था खुदा से गुहार कर लेते।।

मुझे हर हाल में तुम्हारे पास आना था।
हुई थी देर तो कुछ इन्तजार कर लेते।।

बहुत कठिन है रास्ता जो तेरी मंजिल का।
सफर उसी का क्यों न बार बार कर लेते।।

अपने लोगों को गले से लगा के बैठे हैं।
कभी कभी तो वो गैरों से प्यार कर लेते।।

हमारे दिल को दुखाने से चैन मिलता है।
तो और ज्यादा मुझे बेकरार कर लेते।।
Ghazal
Avanish maurya
Written by
Avanish maurya  17/M/Delhi
(17/M/Delhi)   
209
 
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