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Jun 2018
सड़क पर पड़ा हुआ है वो गरीब आदमी
सिस्टम सा सड़ा हुआ है वो गरीब आदमी

भूख अब भी जिसको तड़पाया करती है
खुद से ही लड़ा हुआ है वो गरीब आदमी

सत्ता में नेता के झूठे आश्वासनों के खिलाफ
सच के लिये अड़ा हुआ है वो गरीब आदमी

सर्दी गर्मी बारिश जिसको झुका नहीं पायी
मजबूरी में अकड़ा हुआ है वो गरीब आदमी

इस झूठी लोकशाही में अपने ही हालात में
क़दम-क़दम रगड़ा हुआ है वो गरीब आदमी

नफरतों के दौर में आज मुहब्बत ढूंढता हुआ
ख्वाबों से भी झगड़ा हुआ है वो गरीब आदमी

इंसानियत ज़िंदा है अभी तक उसके अंदर
यूँ छोटा नहीं, बड़ा हुआ है वो गरीब आदमी

ये दुनिया उसे कभी कहीं देख ही नहीं पाती
खजाने सा कहीं गढ़ा हुआ है वो गरीब आदमी

जो नहीं कर पाता है मज़हब में फ़र्क़ कोई
संविधान सा खड़ा हुआ है वो गरीब आदमी
Avanish maurya
Written by
Avanish maurya  17/M/Delhi
(17/M/Delhi)   
210
 
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