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Apr 2018
सिगरेट पीने की तलब उठी है
फिर एक सिगरेट जला रहा हूँ
देख न ले अपना कोई मुझको
कि मैं छिप छिपकर सुट्टा लगा रहा हूँ
सिगरेट पीने की तलब उठी है
फिर एक सिगरेट जला रहा हूँ|

सिगरेट निकाली तिल्ली जला ली, सिगरेट निकाली तिल्ली जला ली
जली तीली से सिगरेट जला ली|
पहला कश मारते ही दिल को चैन मिल गया (2)
धुऐं का वह समंदर जब मेरे खून से मिल गया
पहले कश के उस धुऐं को धीमे धीमे छोड़े जा रहा हूँ
कि सिगरेट पीने की तलब उठी है
फिर एक सिगरेट जला रहा हूँ

पहला कश ख़त्म हुआ अब दूसरे कि बारी है
दूसरे कश में मेहबूबा को भुलाने कि तैयारी है
दूसरा कश जब मारा मैंने दिल पर सीधी चोट हुई
नम हुई आँखें थम गई सांसें न जाने कौन सी भूल हुई
इस सिगरेट से गम को मैं तो धुऐं में उड़ाए जा रहा हूँ
कि सिगरेट पीने की तलब उठी है
फिर एक सिगरेट जला रहा हूँ|


दूसरे के बाद तीसरा मारकर ये ब्लैक & वाइट दुनिया पूरी रंगीन हुई
दुःख भी दूर हुआ गम भी मिट गया, गम भी दूर हुआ दुःख भी मिट गया  
एसी सिगरेट बाबा कि मुझपर मैर हुई
कि पूरी दुनिया से लड़ लूंगा इतनी ताकत मुझमें आ गई है
कोई भी साला अब सामने आ जाए पूरी कि पूरी सिगरेट मुझमें समा गई है
होश में रहकर भी मदहोश हुए जा रहा हूँ
सिगरेट पीने कि तलब उठी है
फिर एक सिगरेट जला रहा हूँ

पता है ये मेरे लिए ठीक नहीं है (2)
गम में अपने ही फेफड़े जलाए जा रहा हूँ और कैंसर को गले लगाए जा रहा हूँ
दुःख और परेशानी तो मात्र एक बहाना है
ज़िन्दगी को ताक पर रख मैं कश लगाए जा रहा हूँ
कि सिगरेट पीने की तलब उठी है
फिर एक सिगरेट जला रहा हूँ, फिर एक सिगरेट जला रहा हूँ
सिगरेट पीने के अलग अलग बहाने हैं पर उसका अंजाम एक ही है|
Written by
Puneet Kumar
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