Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Apr 2018
अपनी  आवारगी में तुझको खोया
अब नज़र से दूर
हमनज़र में पाया
जिंदगी की ख़ास
तालाब के पास
ढूंढ़ता एक कहानी
तितली के रंगों को देख के
रंग बिरंगा हो गया एक ही पल में
पल दो पल
और ठेहर गया
कहानी को याद में लिए
फिर से खोया
फिर
न जागा न सोया
ईश्क़ की तलाब
तालाब की ताल में
।।।
Ravindra Kumar Nayak
Written by
Ravindra Kumar Nayak  30/M/India
(30/M/India)   
103
 
Please log in to view and add comments on poems