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Shrivastva MK
Poems
Nov 2017
अब वो सारे बाग वीराने लगते है
अब वो सारे बाग वीराने लगते है,
अब वो सारे फूल पुराने लगते है,
जब से हुई है नफ़रत मोहब्बत से
तब से सारे दर्द याराने लगते है,
अब वो लोग अनजाने लगते है,
अब वो तस्वीर बेगाने लगते है,
जब भी याद आती है उनकी
तब ये अश्क़ भी दीवाने लगते है
अब तो अपने भी झूठे लगते है,
अब वो सारे सपने टूटे लगते है,
जब से बदला है रुख़ आपने
तब से ये मौसम भी रूठे लगते है।
©मनीष......✍
Written by
Shrivastva MK
23/M/INDIA
(23/M/INDIA)
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