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Sandeep kumar singh
Poems
Mar 2016
बेचैन मन >>>> 29/03/2016
वह अपने आप को छुपाती है
सारी बाते लबो से दबाती है
कुछ कहना है तो कह दो
दो दिन की जींदगी और बाकी है।
मैं तो चाहता हूँ तुम्हें, सब को पता है
अपना हाले दिन तू अब तो बता दे
कितना अब इंतजार करू मैं
अपने लबो के पर्दे को अब तो हटा दे।
मैं बैठा रह गया तेरे इंतजार में
अब तो खुद को तू मुझसे मिला दे
अपना हाले दिल मुझे तू अब तो सुना दे
मुझे जीने का अब तो कोई रास्ता दिखा दे।
वह अपने आप को छुपाती है
पर नजरे उनकी सब बताती है
मैं जानता हूँ सब तेरी बाते
मुझे भी तो अब अपना बनाले ।
अभी भी इंतजार है उनका
कभी अपना चेहरा तो दिखा दे
खुल के तू जरा सा मुस्कुरा दे
जज़बातो को अपने लबो से उतार दे।
संदीप कुमार सिंह
Written by
Sandeep kumar singh
Nagaon, Assam
(Nagaon, Assam)
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