Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
Mar 2016
मेरे देवकीनंदन घर आवो ,
भक्तन की सुन विनती जावो,
मेरे देवकीनंदन घर आवो ,

माखन, मिश्री और चरणामृत,
मेवे, फल, चंदन, दुग्ध, घृत,

इन सबका भोग लगा जावो,
मेरे देवकीनंदन घर आवो

पुष्प सुगंध, कर्पूर अंजलि,
अक्षत, धूप और दीपावली,

सबका मान बढ़ा जावो,
मेरे देवकीनंदन घर आवो ।

दानवेन्द्र मेरे तुम जगदीश्वर
परमपिता मेरे तुम परमेश्वर
मेरा तन मन मधुबन कर जावो,

मेरे देवकीनंदन घर आवो ,
भक्तन की सुन विनती जावो,
Arvind Bhardwaj
Written by
Arvind Bhardwaj  Chandigarh
(Chandigarh)   
2.1k
 
Please log in to view and add comments on poems