Hello < Poetry
Classics
Words
Blog
F.A.Q.
About
Contact
Guidelines
© 2024 HePo
by
Eliot
Submit your work, meet writers and drop the ads.
Become a member
Sandeep kumar singh
Poems
Oct 2015
वर्षा भी कुछ कहती है
वर्षा भी कुछ कहती है
इसके हर एक बूंद
बूंद के हर शब्द मे
अनेकों राज छुपाये रहती है
वर्षा भी कुछ कहती है
पनी से निकलते
हल्के-हल्के मधुर संगीत
जीवन की सच्चाई गुनगुनाती है
वर्षा भी कुछ कहती है
पनी भरे बादल के
सब्र का बांध जब टूट जाता है
तब छत पर पड़े
धूल-मिट्टी गंदगी आदि
सभी को
एक ही पल में, छन में
धरती पर ले आती है
वर्षा भी कुछ कहती है
धूल, मिट्टी, कणों आदि को
जब अहंकार आ जाता है
अतीत भूल वह हर-पल
सभी छतो पर छा जाता है
तब आने वाली कुछ ही पल में
वर्षा आ जाती है
सभी कणों के अहंकार को
एक छन मे ,पल मे
मिट्टी मे बहा लाती है
उस अहंकार को तोड़ वह
फिर से चली जाती है
वर्षा भी कुछ कहती है।
---संदीप कुमार सिंह।
Written by
Sandeep kumar singh
Nagaon, Assam
(Nagaon, Assam)
Follow
😀
😂
😍
😊
😌
🤯
🤓
💪
🤔
😕
😨
🤤
🙁
😢
😭
🤬
0
461
Please
log in
to view and add comments on poems