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Oct 2015
जन्म के साथ ही
सांसरिक कष्टों मे फँसता है प्राणी
हर पल – हर घाड़ी बस
पछताता है प्राणी ।

जीवन की घड़ियाँ बिताती है, पर
कष्टो को झेल न पाया प्राणी
हर पल – हर दिन
दुख झेलता
जीवन का बोझ उठता है प्राणी।

सुख आए छन भर, पर
दुख है सत्य
क्यो आया,
क्या पाया,
काष्ट और दुखो बस एक
क्या खिलौना है प्राणी।

क्यो जन्मा प्राणी
क्यो आया ?
हर कष्टो को झेलता
पछताता है प्राणी ।

-----संदीप कुमार सिंह ।
Sandeep kumar singh
Written by
Sandeep kumar singh  Nagaon, Assam
(Nagaon, Assam)   
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