''''''''''''''''' ये कैसी आजादी ?? ''''''''''''''' ''''''''''''''''''''''''''''''''
आजाद कहाँ हम ? ये कैसी आजादी ? गुलामों से बढ कर हमारी बरबादी ॥
दिया एक भी जला नहीं किसी घर में, गरीब हम , क्या खाएँ, चूल्हा ठंढा घर में, मिटे कैसे भूख जो पलती उदर मे। बाहर भी जाएं तो खौफ जिगर मे, आतंकी अनहोनियाँ नगर मे, ड्गर मे ॥
आजाद कहाँ हम ? जब सुरसा महँगाई निवाले पे खतरा सरकारी बेहयाई ॥
समझों किस हालत में देश अपना आज है । लोग यहाँ चूहे तो नेतागण बाज है ॥ देश की स्टीयरिंग थामे घोटालेबाज है ॥ जो करे विरोध उस पर गिरती गाज है ॥ बस कहने को देश में जनता का राज है ॥