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Aug 2018 · 471
Pleasure of Lonliness
Deovrat Sharma Aug 2018
●●●
foregone time
loneliness  in deep silence
awakening in dark long nights
remembrances of beloved ones
while sitting alone

believe me
pleasure and joyfulness
such lively zestfulness
inflictions and predestinations
can only be experience
all together in such
situations

●●●
©deovrat 23.08.2018
Aug 2018 · 136
मुस्तक़बिल
Deovrat Sharma Aug 2018
●●●
मेरे लब-ए-तबस्सुम की
हकीक़त अगर जान लोगे तुम।

यकीनन कैफ़ियत-ओ-जुनू की
ताकीदियत मान लोगे तुम।।

दिल से ना ही हयात-ए-दहर
से तुम कभी रुख़सती देना।

हाल-ओ-मुस्तक़बिल हूँ
तुम्हारा  ये पहचान लोगे तुम।।

●●●

©deovrat 21.08.2018

ताकीदियत=intensiveness
Aug 2018 · 130
बगावत
Deovrat Sharma Aug 2018
●●●
ये लगता है यकायक
अज़ल से नाजिल क़यामत है।

लब खुल ना सके फकत
अहसास-ए-थरथराहट है।।

उन कद़मों की आहट
सरसराहट उनके पैरहान की।

मेरी धडकन-ओ-साँसों
की मेरे दिल से बगावत है।।

●●●
©deovrat 20.08.2018
Aug 2018 · 580
Language of Heart
Deovrat Sharma Aug 2018
●●●
not many people
in this world
seems to infer
the language of impassion

from tangling eyes
apart to derive
some unspecified
conclusion

promise me
to understand
my wishful desire
of hearts passion

few people
in this humankind
they are able to
make out reason

deducing nature
of thoughts
they listen  and understand
silence of someone

if a person unable
to understand language of love
then no use
to make companion
  

●●●
©deovrat 13-08-2018
Aug 2018 · 238
अयथार्थता
Deovrat Sharma Aug 2018
●●●
मन को उमंगों तरंगों  से था वास्ता
सतरंगे  छलावों का अहसास था।
यूँ ही ख्वाबों ख़्यालों में खोया रहा ओर
हक़ीकत की दुनिया से अनजान था।।

इस कदर हो के गाफ़िल इस संसार में
उम्र सारी गुजारी मिथ्या अहसास में
अब गुज़र जो गयी सो गुज़र ही गयी
अब भी कुछ वक्त है तू संभल जा जरा।।

उस भरम से उबर  मन को एकाग्र कर
खुद को यूँ ना गवां ख़ुद की पहचान कर
लडखडा कर संभलना समझदारी है
तू जानता है ये सब पर नही मानता।।

यूँ ही ख्वाबों ख़्यालों में खोया रहा ओर
हक़ीकत की दुनिया से अनजान था।
मन को उमंगों तरंगों  से था वास्ता
सतरंगे  छलावों का अहसास था।।

●●●
©deovrat 09-08-2018
Aug 2018 · 167
गाफ़िल
Deovrat Sharma Aug 2018
●●●
लमहा लमहा साँसे तेरी सिमटती रही।
कब उम्र  यूँ ही गुजरी पता ना चला।।
दिन महीने बने फिर वो साल बनते गये।
वक्त गया तो गया फिर वो चला ही गया।।

काले घुंघराले केशों पे तुझको बडा नाज़ था।
अब ना काले रहे ना वो अब घुंघराले हैं।।
केश श्याम से स्वेत कब और कैसे हुए।
तू समझ भी ना पाया, जोर कुछ ना चला।।

तुझको दुनिया में भेजा था उस ईश ने।
कुछ भलाई करे कुछ गाढी कमाई करे।।
सुभग-ओ-सुघर काया थी तुझको मिली।
रोगों ने कब तुझे आ घेरा पता ना चला।।  

तू यूँ गाफ़िल हुवा इस चकाचौंध में
सारी पूँजी लुट गई तू देखता रह गया।।
है जो कुछ दिन का मेला ये रहे ना रहे।
फिर ये पंछी उडा और अकेला चला।।

इस भरम में तू जीता रहा ज़िन्दगी।
ये सारी दुनिया तेरे वास्ते  है बनी।।
दरिया के रेत पर की इबारत है ये।
एक आयी लहर और सभी बह चला।।

नाज़-ओ-अंदाज़ पर तब फ़िदा थे सभी।
चाँद तारे, नज़ारे, फ़लक-ओ-ज़मीं
अब ना वो अंदाज़ है ना ही वो नाज़ है।
कब रहमतें सब गयी कुछ पता ना चला।।

रोज सूरज उगा जब भी आकाश में।
उसकी किरणों में संदेश इक तेज था।।
दिन का सोना और फिर रात भर जागना।
ये उलटी गंगा बही तू डुबकी लगाता रहा।।

अब कुछ होश कर अब तो कुछ ज्ञान कर।
अपने कर्मों पे बन्दे तू कुछ ध्यान कर।।
जाग कर के भी बिस्तर पे सोया है क्यूँ।
उठ चल कर आत्ममंथन संभल तू जरा।।

लमहा लमहा साँसे तेरी सिमटती रही।
कब उम्र  यूँ ही गुजरी पता ना चला।।
जाग कर के भी बिस्तर पे सोया है क्यूँ।
उठ चल कर आत्ममंथन संभल तू जरा।।

●●●
©deovrat 06.08.2018
Aug 2018 · 143
धड़कन
Deovrat Sharma Aug 2018
●●●
कोशिशें लाख करे दामन
मुझसे छुडा ना पायेगा।
वो मेरी दीवानगी को
ज़ेहन से भुला ना पायेगा।।

उसका दिल धड़कता है
मेरी ही धड़कन से।
जो धड़कनें ही ना रही
भला क्या वो जी पायेगा।।

●●●
©deovrat 04.08.2018
Aug 2018 · 163
सवाल
Deovrat Sharma Aug 2018
●●●
ना सवाल कर ना जवाब दे
अब उमर का तो ख़याल कर।

ना समझ सका जो चश्म-ए-ज़बां
उस शख़्स का ना मलाल कर।।

●●●
©deovrat 03.08.2018
Aug 2018 · 154
ख़ुदगर्जी
Deovrat Sharma Aug 2018
●●●
जिन्दग़ी में कई उलझने हैं
कितनी हैं दुश्वारियाँ।
हर कद़म पर ठोकरें हैं
तल्ख़ियाँ मक्कारियाँ।।
◆◆◆

नींद-ओ-चैन खो सा गया
हर ओर है बेचैनियाँ।
ज़ेरोज़बर है सबकी दुनियाँ
मुख़तलिफ़ हैं कहानियाँ।।
◆◆◆

ख़ुदगर्जी में अब गर्क है
इमां पे चलने का चलन।
वो मरासिम-ओ-जहानत
सब लगती हैं नादानियाँ।।

●●●
©deovrat 02.08.2018
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
जह़न के किसी कोने में पोशीदा
मुसल्सल दिल-ओ-दिमाग़ में
पेवस्त हिज्र-ओ-वस्ल
से बावस्ता उनकी
यादें मिरे रूबरु
चली आई...

◆◆◆

दिल-ए-बरहम में
दामिनी सी वो चमक
तेज धड़कन में उमडती
घुमडती घटाओं की धमक
भीगे जज़्बात के इस मौसम में
बेसाख़्ता-ओ-बेसबब
ना जाने क्यूँ  आँखे
भर आई...

◆◆◆

उदास तन्हा से
ये शाम-ओ-सहर।
जिन्दग़ी कैसे कटे
कहो अब कैसे हो बसर।।
निबाहें चलों दस्तूर-ए-जुदाई।
फ़िर से करें जिक्र-ए-बेवफ़ाई...

●●●
©deovrat 31-07-2018
Jul 2018 · 210
Way to Live Life
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
whatever
is the life
you must live it
with full enthusiasm
and
always
tender thanks
to the almighty nature
who is taking care of
your well-being
and survival

●●●
©deovrat 28-07-2018
Jul 2018 · 175
ज़माल
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
वो मकीं-ए-कहकशाँ
या ताब-ए-आफ़ताब है।

उसका ज़माल सुनते है
मुख़्तलिफ अज़ल से  है।।

●●●
©deovrat 27-07-2018
Jul 2018 · 113
Trust
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
oh dear
blame me never
to keep you thirsty ever
trust me
I am one
whose endeavour
is to transform whatever
loneliness desert
into the ocean
of love  forever

●●●
©deovrat 26-07-2018
Jul 2018 · 123
ख़वाब
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
भीगे मौसम मे उसके ग़ेसू की चमक़।
घनघोर घटाओं मे दामिनी की दम़क।।

झील सी गहरी  निगाहों में सिमटी।
दूर तक फैली चाँदनी की झ़लक।।

सुरमयी श़ाम में  धीमी धीमी सी बयार।
मोगरे-रात की रानी-ओ-चम्पा  की महक।।

लरज़ते लब-ओ-तब़स्सुम का तिलिस्मी।
उस प धवल मैक्तिकय दंतुली की दम़क।।

आसमाँनों की वो रौनक परिस्त़ां से उतरी।
मराल सी चाल पग में पायल की झनक।।

भीगे मौसम मे तेरे ग़ेसू की चमक़।
घनघोर घटाओं मे दामिनी की दम़क।।

●●●
©deovrat 24-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
गुज़शता वक्त के सफहों पे कुछ अफ़साने है।
मुसलसल ख़्वाब-ओ-हक़ीकत के कई तराने है।।

हमसफ़र कब़्ल में यूँ तो मिले-ओ-मिलते ही रहेंगे।
आपके मिलने से खुशनुमा रंग हैं नये ज़माने हैं।।

महकते गुल-ओ-गुलशन और ये सतरंगी फ़िजा।
इस महफ़िल में सभी तो अपने है ना कोई बेगाने हैं।।

●●●
©deovrat 21-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
उसके चेहरे पे चमक आँखों मे आँसू होंगे।
उसके लब पोशीदा-ए-मसर्रत से रोश़न होंगे।।

भारी दिल और जिग़र में  अहसाश-ए-ख़लिश।
फज़ल-ए-रब को हाथ सर पे फिराए होंगे।।

वक़्त-ए-रुख़सत वो घर से चले लख़्ते ज़िगर
बोसा पेश़ानी पे और कलेज़े से लगाये होंगे।।

हिफ़ाजत-ए-माद़रे वतन सख़्त कलेज़ा करके।
माँ ने श़ान-ओ-फ़र्ख से बेटे सरहद पे भेजे होंगे।।

●●●
©deovrat 20-07-2018
Jul 2018 · 127
हकीक़त
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
ये तो हकीक़त है
कि कुछ कमी सी है।
ये श़ब उदास है
आँखों में भी नमी सी है।।

कहने को कितने ही
राज़ दिल में दफ़न है
ज़ुबां ख़ामोश हैं
लफ़जों की कमी सी है।।

●●●
©deovrat 19-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
कुछ इस कद़र जहन में  
वो पेवस्त है  मिरे।

एक पल को नही टूटते
यादों के सिलसिले।।

●●●
©deovrat 18-07-2018
Jul 2018 · 237
हमसफ़र
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
काफ़िला-ए-हमसफ़र वो
था मिरा और दूर तक रहा।
रक़ीब-ओ-हयात ने कभी
उसे मिलने नही दिया।।

वो ग़ैरों के साथ चल दिया
द़ुनिया की भीड़ में।
हमने तनहाईयों को खुद का
हमसफ़र बना लिया।।

●●●
©deovrat 17-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
तन्हा शामों के काफ़िले
और वो हमसफ़र है मेरा।

ना जाने ज़िन्दगी फिर भी
इतनी उदास सी क्यूं है।।

●●●
©deovrat 16-07-2018
Jul 2018 · 303
Tears Drops
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
veil of
tears beads
in her rhinestone
crystal clear eyes
it seems the nature
secretly n precisely
decorated pearl
in
the seeps
or
stars
on mesmerize
blue skys
~~~

take care
of those precious
tears drops not to flow
out from dreamy eyes
clench them  through
passion of love
by keeping in
cradle of
eyelids

●●●
© deovrat 15-07-2018
Jul 2018 · 157
Divine Blessings
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
the sun
was just about to rise
above the deep blue horizon
with a joyful mesmerising sunshine
blooms  flowers n plant  
in many color shine
pink white yellow
purple and red vine
sperading bewildered outshine

rain droplets
on the rose petals
lush green hedges
on the peripheral
sides of lawn
chirping of
distinct
delightful birds
amusingly colorful butterfly

freshness
of genial breeze
dense lush green trees
on the both sides
of walking track
crawling caterpillars
playing and running children
brisk walk by the young people
slowly exercising elderly couple

we should thank
and praise to divinity
for all of this natural
endowment
blessings
and
good fortune
from almighty to the
humans being

●●●
© deovrat 14--07-2018
Jul 2018 · 130
आँसू
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
उन
सफ्फ़ाक
बिल्लौरी  नयनों में
पोशीदा
वो
आँसुओं की बूँदें
खुद जैसे सजाये मोती
कुदरत ने
सीपीयों में
◆◆◆
इनको
सम्भाल लेना
आँखों से बह ना जायें
रख़ लेना प्यार से तुम
पलकों के पालने में

●●●
©deovrat 14-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
वो जो
मशरुफ़-ओ-मग़रुर था
ओर उफ़ ना कभी करता था।

उसकी
बेत़ाब निग़ाहों ने
जन्नत का ख़्वाब देखा हैं।।

क़ब्ल मे
वक़्त ने कुछ़
इस तरह करवट ली है।

जख़्म कुछ ऐसा
जिग़र पे खाया हैं।।
वो ना कभी भरता हैं।।

मुसल्सल
बुझते च़रागों
से है ख़्वाहिश-ए-रोशनी।

अज़ब सी
चाह है, ना वो जीता
ना ही सक़ूं से मरता है।।

ख़ुश्क
चेहरा ओ
लब-ए-तिश्नगी का आल़म ये।

हल्की सी
आह से भी अब
ज़िस्म सिहर उठता है।।

●●●

©deovrat 12-07-2018
Jul 2018 · 147
Inevitable Change
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
be
always
what you are
live your life in
a natural way
changes are
inevitable
for the
body
but
the very
basic nature of
soul never change

●●●

©deovrat 12-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
वो जितना
मिरे क़रीब था
अब दूर हो गया ।

आँख़ों से
नींद ले गया
बेचैन कर गया।।

गुज़स्ता
दास्त़ान हो गया
अब वो मेरे वास्त़े।

मशरब-ए-अश़्क
जैसे सैलाब-ए-ल़हू
में बद़ल गया।।

●●●
©deovrat 08-07-2018
Jul 2018 · 143
सुमिरन
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
आती जाती
साँसों के मऩको से
मन निश दिन करे
सुमिरन तेरा।

धरती से
अम्ब़र तक
तेरी ही माया है
तुझमे रमा है मन मेरा।

रिस्तों
की माया है
झूठ़ी यह काया है  
बस एक तू ही है सच्च़ा सहारा।

जीवन
की नैय्या का
तू ही खिवय्या है
मेरा तो तू ही पालन हारा।

आया हूँ दर तेरे
इतनी अरज़ सुनले
अपनी शरण कर ले
निर्मल मन से है तुझको पुकारा।

आती जाती
साँसों के मऩको से
मन निश दिन करे
सुमिरन तेरा।

●●●
©deovrat 06-07-2018
Jul 2018 · 125
रहब़र
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
वक्त की परवाह हमें
ना ख़ोफ-ए-ब़सर है।

वो द़श्त-ए-बियाबान हो
या कोई रहगुज़र है।।

आँख़ों मे अक़्स-ए-यार
ओ दिल में उसकी याद़।

रहब़र वो साथ रहता है
किस बात का डर है।।

●●●
©deovrat 05-07-2018
Jul 2018 · 144
Tales
Deovrat Sharma Jul 2018
●●●
few affaires
becomes memories
and those memories
transformed into tales
from me exists thou
because of thee
all fairytales
however


we
you and me


are only relevance
in all the fairytales
rest of things are
meaningless

●●●
© deovrat 01-07-2018
Jun 2018 · 200
बात़ें
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
कुछ़ बात़ें..
यादें बनती है...
यादों से किस़्से बनते हैं।

मुझसे..
तू है...
तुझ से..
मै हूँ ...

बाक़ी..
तो सब....बस...
बेमतल़ब की बातें हैं।।

●●●
©deovrat 29-06-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
ज़िस्म की..
आग़ भडक़ती है...
वो बुझ़ भी जाती है।

इश़्क की लौ..
द़िलों में जलती है...
सदा-सदा के लिये।।

◆◆◆

हद़ें तलाश..
ना कर, उसकी...
हयात-ए-फ़ानी में।

अज़ल हैं..
रूह के रिश्ते हैं...
दो ज़हाँ के लिये।।

●●●
©deovrat 28-06-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
तनहाईयों का भी,  
कितना अज़ीब आल़म है।

फिज़ा ख़ामोश है,
सक़ून-ए-दिल भी कम है।।

जह़न प अक़्स नक़्स है,  
दीदार-ए-यार का।

उसको भूलने के लिये
इक उमर भी कम है।।

●●●
©deovrat 03-07-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
जब दिल में आ गये हो,
अब समझो यही ठिकाना।

ये एक तरफ़ा रास्ता है,
अब ज़ाना है भूल जाना।।

◆◆◆

श़ाम-ओ-सहर महीने,
ना सालों का जिक्र करना।

रिस्त़ा-ए-ज़िन्दग़ानी,
जनम-ओ-जनम निभाना।।

●●●
©deovrat 24-06-2018
*English translation will be posted shortly.
Jun 2018 · 400
Unconditional Love
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
unconditional..
love follows...
it's own set of rules....

whatever be the..
decisions, accepted...
wholeheartedly....

appetency..
such passionateness...
blessed by the divinity...

don't say it..
simply love...
this is true idolatry....

●●●
©deovrat 24-06-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
बेग़रज़ मुहब्बत के,
*मुख़तलिफ़ उसूल होते हैं। (अल़ग)

वो जो भी फै़सले करें
मुसलसल कब़ूल होते हैं।।
◆◆◆

इस कैफ़ियत की चाहत,
गोया कि *अल-वाहिय़त।(आलौकिक होना)

इसको ना इश़्क कहिये
यें ही सच्ची इब़ादतें हैं।।
●●●
©deovrat 23-06-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
जख़्म खाके..
मुस्कराने का चलन...
अब आम़ हो चला है।

ग़ोया कि..
होस़ला-ए-जब़्त-ए-सित़म...
हद पार हो चला है।।

◆◆◆

जिस ग़म..
की  पनाहों में तब...
उसका सक़ून-ए-दिल था।

वो उस..
ग़म-ए महफ़िल से...
दिल-ए-बेज़ार हो चला है।।

●●●
©deovrat 22-06-2018
Jun 2018 · 131
भटकन
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
यूँ खो ना जाना तू कहीं,
ख़्वाहिश-ए-हज़ूम में।

जो मिला है, सो तेरे पास है,
ना वो खो देना ज़नून में।।

◆◆◆

भरोसा-ए-ज़िन्दग़ानी कुछ नही,
इस लिये बस होशला रख जो़श में।

ना अब  देर कर, उठ चल संभल जरा,  
सौंप दे खुदी को, उस प्रभु के हज़ूर में।।

●●●
© deovrat 21-06-2018
Jun 2018 · 190
Adoration
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
all of
a sudden
without
premeditation
the heart took
a decision
to involve
with someone

◆◆◆

although he
in return
received
discountenance
he couldn't be jilt even
one can termed
it passion
of adoration to her

◆◆◆

someone
can say  devotion
for orison
although
she could neither
show never
depict any
kind of adhesion

●●●

© deovrat 19-06-2018
Jun 2018 · 171
शनाशाई
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
दिल ने यूं ही बेशाख़्ता,
कर ली है शनाशाई।

पशेमां हो के भी उनसे,
ना हो पाया वो हरज़ाई।।

◆◆◆

परश्तिस करने का ज़ज्बा,
कहें या शोक-ए-इबाद़त।

सदा को हो गया उसका,
वो उसकी हो नही पाई।।

●●●
©deovrat
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
द़रख्तों में छुपा है या तो फिर अब्र में कहीं।
महताब से रोशन  है आसमान और जम़ीं।।

या मुझ से हैं अद़ावतें या कुछ ओर बात है।
रोश़न वो चाँद मेरा, कहीं पास है यहीं।।

बाअद़ब चला करो, मिरे गु़लशन मे हवाओं।
उसकी रेशमी ज़ुल्फों से लिपटना नही कभी।।

वो श़ोख हैं, क़मसिन है, ऩूर-ए-हयात है।।
नादानियों से अपनी, सताना नही अभी।।

द़रख्तों में छुपा है या तो फिर अब्र में कहीं।
मह़ताब से रोशन  है आसमान और जम़ीं।।

●●●

©deovrat 16-06-2018
Jun 2018 · 149
O My Dear
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
o my dear
no matter
you are away
too far or near
dont be sad
no never

◆◆◆

its true
god created us
alike two separate banks
of a holy river
some times being far
some times very near

◆◆◆

it is also
substantiate fact
we are always together
caring to each other
sharing our emotions
and divin pleasure

◆◆◆

do remember
whatever
be the matter
you will
always find
me there

◆◆◆

deep in your heart
in your sweet dreams
in the remembrance
in gentle cool breeze
also in the milky
flow of streams

◆◆◆

i persist
in your thinking
entangled
in the making
all the colors
of your dreams

◆◆◆

with
your heavenly
glimpse
I always
acquire eternal
feelings

◆◆◆

shadow of
passion always
appear in the mirror
of your dreamy eyes
for me you are a tale
of  love n cares

●●●
© deovrat 15-06-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
तू दूर रहे या पास..
ना होना कभी उदास।

तेरे ख़्वाबों की त़ाबीरों में..
मेरे इश़्क का साया है।।

◆◆◆

तेरे नयनों के दर्पण में..
मैने खु़द को पाया है।

तूने ही तो ज़ीवन में..
मुझे प्यार सिखाया है।।

●●●

©deovrat 14-06-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
उफ़ तक ना वो कर सका,
जब सर क़लम हुवा।

होठों पे तबस्सुम सा था,
विसाल-ए-यार का।।

◆◆◆

तस्सवुर-ए-प्यार में वो,
खोया था इस क़दर।

दोनो जहाँ से दूर था वो
अपने दिलबर के पास था।।

●●●
© deovrat 11-06-2018
Jun 2018 · 309
Quest or Impression
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●

with the
ground dust
she adorn her frons
build relationship
with the thorn's
leaving aside
the floral gardens

◆◆◆

either this is
a weird quest
or
can say her craziness
since meet
with someone

◆◆◆

often find herself alone
diving deep in the
ocean of emotion
asking herself
is she in love
impression

●●●

©deovrat 09-06-2018
Jun 2018 · 268
असर
Deovrat Sharma Jun 2018
●●●
ज़मीं की धूल से उसने
ज़बीं अपनी सजाई है।

ग़ुलों को छोड़ के कांटों  
से कर ली आश़नाई है।।

◆◆◆

अज़ब सा शौक है या
कहें ये उसका पाग़लपन।

जु़बां खा़मोश है जब से
नज़र उनसे मिलाई है।।

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©deovrat 10-06-2018
Jun 2018 · 168
Love at Sight
Deovrat Sharma Jun 2018
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when the
blooming moon came
out from the cloud bloom

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its
the time
my eyes set on moon

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our sight
got tangled up
and all the confusion has gone

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©deovrat 09-06-2018
Jun 2018 · 149
नज़रें
Deovrat Sharma Jun 2018
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चाँद बदली से जब निकला
तो आँखें चार हो गयी।
◆◆◆

उस से नज़रें उलझ गयी
मेरी उलझन सुलझ गयी।।
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©deovrat 09-06-2018
Jun 2018 · 224
Fate
Deovrat Sharma Jun 2018
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firefly..
burn itself...
on candle fire glow!

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how pity..
the result of love .. .
firefly does not know !!

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© deovrat 08-06-2018
Jun 2018 · 133
हिज़र
Deovrat Sharma Jun 2018
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इक ल़महा गुज़र जाये
तो बड़ी बात है समझो।

हमने ने तो कई साल
गुज़ारे हैं हिज़र में।।

◆◆◆

वो  ख़्वाब में ना आते तो
श़ुकून-ए-शब नश़ीब था।

वो क़ब्ल से हर वक्त
ही रहते है नज़र में ।।

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© deovrat 06.06.2018
Jun 2018 · 563
Confession
Deovrat Sharma Jun 2018
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i want
to say something
i wish to say many thing
i know you also eager
to utter every
thing

◆◆◆

our herats
are filled with emotions
our minds wish to make confession to the feelings which can't  be  described
during the  erstwhile time
through revelation *
◆◆◆

it's true
we neither
able to stop nor
make time prehension
while you are being with me
it's auspicious like the heaven
◆◆◆

your
refreshing
remembrance
it's
just like
dreaming
with the open eyes
so
admiring
n
awesome
always makes me alive
you are blessings of god
to my heart and soul
◆◆◆

in
accordance
to the destiny
i always  find you with me
to walk  on the path of
life
in
every
condition.
and with full
of ambition*
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© deovrat 06-06-2018
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