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Deovrat Sharma Jul 2018
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वो मकीं-ए-कहकशाँ
या ताब-ए-आफ़ताब है।

उसका ज़माल सुनते है
मुख़्तलिफ अज़ल से  है।।

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©deovrat 27-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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oh dear
blame me never
to keep you thirsty ever
trust me
I am one
whose endeavour
is to transform whatever
loneliness desert
into the ocean
of love  forever

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©deovrat 26-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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भीगे मौसम मे उसके ग़ेसू की चमक़।
घनघोर घटाओं मे दामिनी की दम़क।।

झील सी गहरी  निगाहों में सिमटी।
दूर तक फैली चाँदनी की झ़लक।।

सुरमयी श़ाम में  धीमी धीमी सी बयार।
मोगरे-रात की रानी-ओ-चम्पा  की महक।।

लरज़ते लब-ओ-तब़स्सुम का तिलिस्मी।
उस प धवल मैक्तिकय दंतुली की दम़क।।

आसमाँनों की वो रौनक परिस्त़ां से उतरी।
मराल सी चाल पग में पायल की झनक।।

भीगे मौसम मे तेरे ग़ेसू की चमक़।
घनघोर घटाओं मे दामिनी की दम़क।।

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©deovrat 24-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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गुज़शता वक्त के सफहों पे कुछ अफ़साने है।
मुसलसल ख़्वाब-ओ-हक़ीकत के कई तराने है।।

हमसफ़र कब़्ल में यूँ तो मिले-ओ-मिलते ही रहेंगे।
आपके मिलने से खुशनुमा रंग हैं नये ज़माने हैं।।

महकते गुल-ओ-गुलशन और ये सतरंगी फ़िजा।
इस महफ़िल में सभी तो अपने है ना कोई बेगाने हैं।।

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©deovrat 21-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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उसके चेहरे पे चमक आँखों मे आँसू होंगे।
उसके लब पोशीदा-ए-मसर्रत से रोश़न होंगे।।

भारी दिल और जिग़र में  अहसाश-ए-ख़लिश।
फज़ल-ए-रब को हाथ सर पे फिराए होंगे।।

वक़्त-ए-रुख़सत वो घर से चले लख़्ते ज़िगर
बोसा पेश़ानी पे और कलेज़े से लगाये होंगे।।

हिफ़ाजत-ए-माद़रे वतन सख़्त कलेज़ा करके।
माँ ने श़ान-ओ-फ़र्ख से बेटे सरहद पे भेजे होंगे।।

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©deovrat 20-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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ये तो हकीक़त है
कि कुछ कमी सी है।
ये श़ब उदास है
आँखों में भी नमी सी है।।

कहने को कितने ही
राज़ दिल में दफ़न है
ज़ुबां ख़ामोश हैं
लफ़जों की कमी सी है।।

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©deovrat 19-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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कुछ इस कद़र जहन में  
वो पेवस्त है  मिरे।

एक पल को नही टूटते
यादों के सिलसिले।।

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©deovrat 18-07-2018
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