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Deovrat Sharma Jul 2018
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वो जितना
मिरे क़रीब था
अब दूर हो गया ।

आँख़ों से
नींद ले गया
बेचैन कर गया।।

गुज़स्ता
दास्त़ान हो गया
अब वो मेरे वास्त़े।

मशरब-ए-अश़्क
जैसे सैलाब-ए-ल़हू
में बद़ल गया।।

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©deovrat 08-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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आती जाती
साँसों के मऩको से
मन निश दिन करे
सुमिरन तेरा।

धरती से
अम्ब़र तक
तेरी ही माया है
तुझमे रमा है मन मेरा।

रिस्तों
की माया है
झूठ़ी यह काया है  
बस एक तू ही है सच्च़ा सहारा।

जीवन
की नैय्या का
तू ही खिवय्या है
मेरा तो तू ही पालन हारा।

आया हूँ दर तेरे
इतनी अरज़ सुनले
अपनी शरण कर ले
निर्मल मन से है तुझको पुकारा।

आती जाती
साँसों के मऩको से
मन निश दिन करे
सुमिरन तेरा।

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©deovrat 06-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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वक्त की परवाह हमें
ना ख़ोफ-ए-ब़सर है।

वो द़श्त-ए-बियाबान हो
या कोई रहगुज़र है।।

आँख़ों मे अक़्स-ए-यार
ओ दिल में उसकी याद़।

रहब़र वो साथ रहता है
किस बात का डर है।।

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©deovrat 05-07-2018
Deovrat Sharma Jul 2018
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few affaires
becomes memories
and those memories
transformed into tales
from me exists thou
because of thee
all fairytales
however


we
you and me


are only relevance
in all the fairytales
rest of things are
meaningless

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© deovrat 01-07-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
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कुछ़ बात़ें..
यादें बनती है...
यादों से किस़्से बनते हैं।

मुझसे..
तू है...
तुझ से..
मै हूँ ...

बाक़ी..
तो सब....बस...
बेमतल़ब की बातें हैं।।

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©deovrat 29-06-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
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ज़िस्म की..
आग़ भडक़ती है...
वो बुझ़ भी जाती है।

इश़्क की लौ..
द़िलों में जलती है...
सदा-सदा के लिये।।

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हद़ें तलाश..
ना कर, उसकी...
हयात-ए-फ़ानी में।

अज़ल हैं..
रूह के रिश्ते हैं...
दो ज़हाँ के लिये।।

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©deovrat 28-06-2018
Deovrat Sharma Jun 2018
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तनहाईयों का भी,  
कितना अज़ीब आल़म है।

फिज़ा ख़ामोश है,
सक़ून-ए-दिल भी कम है।।

जह़न प अक़्स नक़्स है,  
दीदार-ए-यार का।

उसको भूलने के लिये
इक उमर भी कम है।।

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©deovrat 03-07-2018
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