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तन्हा तुम हो, हम भी तन्हा।
ओर दुनिया की मजबूरियाँ।।
कुछ हम चलें, कुछ तुम चलो।
कम हो जायेंगी यें दूरियां।।
माना कि, दोनों की किस्मत।
ओ, ख्वाहिशें हैं जुदा- जुदा।।
दर्द - ओ - गम तो एक है।
ओर वैसी ही हैं रुसवाईयां।।
इतना ही काफी है दिलबर।
जानता है हाल- ए - दिल।।
है बेमानी, ख्वाहिशें।
फुरकतें खामोशियां।।
अपनी बैचेनी का आलम।
इस कदर पुरजोर है।।
खुद-ब-खुद छट जायेंगी।
ये दुख भरी तन्हाइयां।।
*deovrat - 04.03.2018 (c)