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Akshay 'Amrit' May 2015
निकालो तुम जरा लम्हें कहीं से आज फुर्सत के,
सुनाऊँ मैं तराने फिर तुम्हें अपनी इबादत के,
तुम्हें रब मानता हूँ मैं तभी ये चाहता कहना
गजल मेरी सदा गाये फ़सानें अब मुहब्बत के।
~ अक्षय 'अमृत'
www.facebook.com/AkshayAmritlalSharma
Akshay 'Amrit' Jan 2015
बात न आए समझ हमारी कैसी तुमसे दूरी है,
आज बता भी दो तुम हमको कैसी ये मजबूरी है,
प्रेम किया है सदा तुम्हीं से तुमसे ही ये कहता हूँ
घट पनघट हैं लाखों लेकिन मेरी प्यास अधूरी है।
Akshay 'Amrit' Jan 2015
कभी ख्वाबों में आता है, कभी यूँ ही सताता है,
कभी जीना सिखाता है, कभी मरना सिखाता है,
तेरे बारे में क्या बातें करूँ मैं आज दुनिया से
तेरा हँसना हँसाता है, तेरा रोना रुलाता है।
Akshay 'Amrit' Jan 2015
हमेशा किसी की सदां खल रही है,
कभी प्यार की ये दुआ पल रही है,
मुझे ही बचाना पड़ेगा इसे अब,
दिया जल रहा है, हवा चल रही है।
Akshay 'Amrit' Jun 2014
"सितारों की बातें करने का क्या फायदा ?
जब कभी जाना ही नहीं हो वहाँ !
बातें करनी हो तो अपने उस चाँद की करो,
जिससे मिलने का हर पल ख्वाब देखते रहते हो।"
Akshay 'Amrit' Jun 2014
"तेज हवा कलियों को खिलने नहीं देती,
दर्द की चुभन होठों को सिलने नहीं देती,
मिलना तो चाहते हैं हम लोग मगर
दोनों मुल्कों की सियासत मिलने नहीं देती।"
Akshay 'Amrit' Jun 2014
"इन फ़िज़ाओं में, हवाओं में घुली आपकी खुमारी है,
जहाँ देखो वहाँ दिखती आप ही की बेशुमारी है,
अब क्या मांगें, क्या न मांगें आप के लिए
मिले खूब धन और खुशियाँ भी यही दुआ हमारी है।"
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