Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
योगेश्वर कृष्ण का
सुदर्शन चक्र
युद्धभूमि में
काल चक्र बन कर
सब को नियंत्रित करता रहा है।
आप कहेंगे कि
महाभारत के युद्ध में
उन्होंने हथियार उठाया नहीं।
क्या यह सही नहीं ?
बेशक
उन्होंने हथियार उठाया नहीं।
मन के भीतर
जोड़ घटाव गुणा तकसीम कर
उन्होंने काल चक्र को
अपने ढंग से
नियंत्रित किया था।
सारथी बने योगेश्वर ने
अर्जुन को रथ से उतार
अभय दान दिया था ,
जब रथ भस्म हुआ था।
काल चक्र को
हर युग में
परम चेतना ने
मानव रूप में जीया है ,
तभी जीवन ने
नित्य नूतन आयाम छुए हैं।
सब हरि लीला से
चमत्कृत हुए हैं।
११/०५/२०२५.
"Standing firmly
in the time of adversity is our choice
as well as voice.  ",
says  always  conscious to all ,
big or small .
A common man is all in all in democracy.
Standless never exists in any system ,
related to autocracy ,  
dictatorship , demoncracy and democracy.  
To stand firmly  regarding  wellfare issues
is creditable in today 's world.
10/05/2025.
शाम के पांच बजे
युद्ध विराम हुआ
परन्तु शत्रु पक्ष ने
चार घंटे के भीतर
कर दिया है
युद्ध विराम का उल्लंघन।
राष्ट्र है सन्न।
हम लड़ेंगे युद्ध
तब तक ,
जब तक
शत्रु पक्ष नहीं होता
विपन्न।
अब समय आ गया है
हम करें संघर्ष
जब तक
शत्रु राष्ट्र
नहीं हो जाता
छिन्न भिन्न।
अब शत्रु पक्ष में
विभाजन अनिवार्य है !
इससे कम
कुछ भी नहीं स्वीकार्य है।
१०/०५/२०२५.
देश !
तुम सतर्क रहना।
युद्ध विराम
विनम्रता से
तो कर लिया स्वीकार।
देखना कहीं हो न जाए
तुम्हारी स्वायत्तता पर प्रहार।
कहीं छिन न जाए
आम क्या खास के अधिकार।

वे शातिराना तरीके से
तुम्हें दबाव में रखकर
समझौते के लिए
कर दें बाध्य।
यदि ऐसी स्थिति आए
तो देखना देश !
युद्ध है एकमात्र उपाय !
कोई कभी भी
तुम्हारे पुत्रों और पुत्रियों को
कायर न कह पाय ।

तुम्हारी स्वायत्तता और अस्मिता के लिए
हम मर मिटने के लिए तैयार हैं ।
हम जानते हैं भली भांति
तुम्हारा जीवन दर्शन कि  
समस्त विश्व एक परिवार है ।
वे इस शाश्वत सत्य को
समझें तो सही ।
हम शांति चाहते हैं ,
युद्ध के माध्यम से।
शांति ,
समझौता करके मिले ,
यह देशवासियों को स्वीकार्य नहीं।

१०/०५/२०२५.
अचानक
युद्ध विराम की घोषणा ने
सच कहूँ ...
कर दिया है स्तब्ध
अभी राष्ट्र के प्रारब्ध का शुभारंभ हुआ है
और शत्रु पक्ष ने
कर दिया शीघ्र आत्म समर्पण।
सोमवार को
बुध पूर्णिमा के दिन
दोनों पक्षों में होगी संवाद की शुरुआत
होगी सहज और मित्रता पूर्ण वातावरण में वार्तालाप!
उम्मीद है दोनों देश बुद्ध के मार्ग का अनुसरण करेंगे!
यदि शत्रु पक्ष ने कुटिल चाल खेली
और आतंकवाद को दिया बढ़ावा
तो देश मां रण चंडी का आह्वान कर
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का धैर्य धारण कर
संपूर्ण अवतार श्री कृष्ण की कूटनीति को आत्मसात कर
महादेव की तरह विषपान कर
शत्रु के संहार को होगा तत्पर
और समस्त देशवासी करेंगे
भविष्य के संघर्षों की खातिर स्वयं को तैयार।
अब फिलहाल युद्ध विराम
शुभ आकांक्षा का सबब बने।
इस बाबत सभी पक्ष सकारात्मक सोच अपनाएं ,
ताकि सब अपनी आकांक्षाओं पर लगाम लगाकर
अपने अपने राष्ट्र के कल्याणार्थ
सुख समृद्धि और सम्पन्नता भरपूर
संभावना के द्वार समय रहते खोल पाएं।
१०/०५/२०२५.
प्रशासन ने
आम जनता को
ब्लैक आउट के संबंध में
इस हद तक कर दिया है जागरूक

लोग निर्धारित समय तक
घर लौट आते हैं ,
समय रहते लाइट्स ऑफ कर देते हैं।
समय पर सोने और सुबह
जल्दी उठने की आदत को अपना रहे हैं।
अच्छा है
लोगों की सेहत सुधरेगी
रात जंगी सायरन बजा था
मैं थका हुआ गहरी नींद में सोया रहा
सुबह जगा तो देखा कि
खिड़कियों और रोशनदान पर
काले पर्दे टंगे थे
मुझे अच्छा लगा

सोचा कि समय रहते
ब्लैक आउट प्रिकॉशन ले लिया जाए !
जीवन की सार्थकता को समझा जाए !!
जीवन दीप को प्रकाशमान रखा जाए !!!
जीवन यात्रा को जारी रखने में ही है अक्लमंदी।
ब्लैक आउट प्रिकॉशन को तोड़ने का अर्थ होगा...
जीवन की संभावना को नष्ट करना।
सुख समृद्धि और संपन्नता के द्वार को असमय बंद करना।
१०/०५/२०२५.
भाई भाई
आज आपस में क्यों लड़े ?
इस बाबत
क्या कभी किया है
किसी ने विचार विमर्श ?
भाई भाई
बचपन में  परस्पर लड़ने से
करते थे गुरेज
बल्कि यदि कोई
उन से लड़ने का प्रयास करता
तो वे सहयोग करते ,
विरोधी पर टूट पड़ते।
अब ऐसा क्या हो गया है ,
भाई भाई का वैरी हो गया है।

दो बिल्लियों के बीच
मनभेद होने पर
बन्दर की मौज हो जाती है ,
इसे आज तक भी
वे समझ नहीं पाई हैं।
समसामयिक संदर्भों में
अब इसे समझा जाए ,
दो पड़ोसी देश
जिनका सांझा विरसा है ,
द्विराष्ट्र सिद्धान्त से
जिन्हें पूंजीवादी देश ने
गुलामी के दौर से लेकर
आजतक चाल चलकर
हर रंग ढंग से छला है।
उन्हें कमज़ोर रखने के निमित्त
उनको न केवल विभाजित किया गया
बल्कि उनमें
आपसी समन्वय न होने देने की ग़र्ज से ,
उन्हें प्रगति पथ पर बढ़ने से रोकने के लिए
बरगलाया गया है।
उनके अहम् के गुब्बारे को फुलाकर
उन्हें अक्लबंद बनाया गया है।
यदि वे अक्लमंद बन जाते ,
तो कैसे सरमायेदार देश
उन्हें भरमाते , फुसलाकर,
निर्धनता के जाल में फंसा पाते ?

आज के बदलते दौर में
बन्दर अब
एक न होकर
अनेक हैं ,
यह सच है कि
उनके इरादे
कभी भी नेक नहीं रहे हैं।
वे भाइयों को लड़वा सकते हैं।
जरूरत पड़ने पर
सुलह और समझौता भी
करवा सकते हैं ,
अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए
उनको फिर से विभाजन की राह
पर ले जाकर मूर्ख भी बना सकते हैं।

बन्दर कलन्दर बन कर राज कर रहा है।
वह बन्दर पूंजीवादी भी हो सकता है
और कोई तानाशाह समाजवादी भी।
यह बिल्लियों को देखना है कि
वे किस पाले में जाना पसंद करेंगी ?
या फिर अक्लमंद बन कर सहयोग करेंगी ??
आज ये लड़ने पर आमादा हैं।
पता नहीं ये कब तक लड़ती रहेंगी ?
शत्रु की शतरंजी चालों में फंसकर
अपने सुख ,समृद्धि और सम्पन्नता को
बन्दर बांट करने वालों तक पहुंचाती रहेंगी।
आज भाई परस्पर न लड़ें।
वे समझ लें जीवन का सच कि
लड़ाई तो बस जग हंसाई कराती है।
यह दुनिया भर में निर्धनता को बढ़ाती है।
०९/०५/२०२५.
Next page