आदमी
जब तक
नासमझ बना
रहता है ,
छोटी छोटी बातों पर
अड़ा रहता है ।
जैसे ही
वह समझता है
जीवन का सच ,
वह एक सुरक्षा कवच में
सिमट जाता है ,
जिंदगी में
समय रहते
समझौता करना
सीख जाता है ,
सुखी और सुरक्षित
रहता है।
भूल कर भी
बात बात पर
अकड़ दिखाने से
करता है गुरेज।
वह जीवन की
समझ निरंतर
बढ़ाता रहता है।
एक समय आता है ,
वह समझौता
बेहद आसानी से
कर पाता है ,
वह बिना कोई हेर फेर किए
स्वयं को संतुलित और
समायोजित कर लेता है ,
शांत रहना सीख जाता है ,
दिल और दिमाग से
समझौताबाज़ बन जाता है।
वह किसी भी हद तक
सहनशील बना रहता है ,
फल स्वरूप जीवन भर
फलता फूलता जाता है ,
समझौता करने में
गनीमत समझता है।
अतः सुख का आकांक्षी
जीवन में समझौता कर ले ,
समय रहते समझदारी वर ले।
यह सच है कि
यदि वह समय पर समझौता कर ले ,
तो स्वत: स्वयं को सुखी कर ले।
१४/०३/२०२५.