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सच है
आजकल
हर कोई
कर्ज़ के जाल में
फँस कर छटपटा रहा है ,
वह इस अनचाहे
जी के जंजाल से
बच नहीं पा रहा है।

दिखावे के कारण
कर्ज़ के मर्ज में जकड़े जाना,
किसी अदृश्य दैत्य के हाथों से
छूट न पाना करता है विचलित।
कभी कभी
आदमी
असमय
अपनी जीवन लीला
कर लेता है
समाप्त ,
घर भर में
दुःख जाता है
व्याप्त।
आत्महत्या है पाप ,
यह फैलाता है समाज में संताप।
सोचिए , इससे कैसे बचा जाए ?
क्यों न मन पर पूर्णतः काबू पाया जाए ?
दिखावा भूल कर भी न किया जाए ।
जिन्दगी को सादगी से ही जीया जाए।
कर्ज़ लेकर घी पीने और मौज करने से बचा जाए।
क्यों बैठे बिठाए ख़ुद को छला जाए ?
क्यों न मेहनत की राह से जीवन को साधन सम्पन्न किया जाए ?
कर्ज़ के मर्ज़ से
जहां तक संभव हो , बचा जाए !
महत्वाकांक्षाओं के चंगुल में न ही फंसा जाए !
कर्ज़ के पहाड़ के नीचे दबने से पीछे हटा जाए !!
कम खाकर गुजारा बेशक कर लीजिए।
हर हाल में कर्ज़ लेने से बचना सीखिए।
१३/०३/२०२५.
यदि किसी आदमी को
अचानक पता चले कि
उसकी लुप्त हो गई है संवेदना।
वह जीवन की जीवंतता को
महसूस नहीं कर पा रहा है ,
बस जीवन को ढोए चला जा रहा है ,
तो स्वाभाविक है , उसे झेलनी पड़े वेदना।
एक सच यह भी है कि
आदमी हो जाता है काठ के पुतले सरीखा।
जो चाहकर भी कुछ महसूस नहीं कर पाता ,
भीतर और बाहर सब कुछ विरोधाभास के तले दब जाता।
आदमी किसी हद तक
किंकर्तव्यविमूढ़ है बन जाता।
वह अच्छे बुरे की बाबत नहीं सोच पाता।
१३/०३/२०२५.
One must protect his heart
from the toughness of heartlessness.
All that happens due to insensitivity of the human mind.
One must listen the heart' s warnings
from time to time
during the journey of life .
Because of  worst living style  as well as the tensions in the  lives of  human beings.
Heart is always remain special for all of us,
as compare to the brain.
Because in normal life,
heart always dominates over the access of the brain.
There is always a danger of brain drain due to greed and
insensitivity of common man.
One must listen the voices of the heart
to avoid critical adversities in the life...to survive...
and to  revive the amazing patterns exisiting in human beings.
One must be serious to listen
the heart' s warning regarding failure
to secure existence.
13/03/2025.
माँ , माँ
होती है।
उससे
बेटी का दुःख
देखा नहीं जाता।
बेटी को दुःखी देख कर
माँ का मन है भर आता।
माँ सदैव चाहती है कि
बिटिया रानी सदैव सुखी रहे ,
यदि कोई उतार चढ़ाव और कष्ट
बिटिया की राह में आन पड़े ,
तो भी वह बिटिया का सहारा बने।
बेशक उसे रूढ़ियों और ज़माने से
लड़ना पड़े !
वह संतान सुख की खातिर
दुनिया भर से संघर्ष करे !!
बिटिया की रक्षार्थ वह शेरनी बन
विपदाओं का सामना ख़ुशी ख़ुशी करे !!
माँ सदैव बिटिया रानी की खातिर
अपना जीवन कुर्बान करने के लिए तत्पर रहे।
१२/०३/२०२५.
आज साल शुरू हुए
लगभग इकहत्तर दिन हुए हैं
और नई कार लिए
छियासठ दिन।
अभी अभी अचानक
कार की हैड लाइट के पास
पड़ गई है नज़र।
वहां दिख गई है
एक खरोंच।
मेरे तन और मन पर
अनचाहे पड़ गई है
एक और नई खरोंच ।
जैसे अचानक देह पर
लग गई हो किरच
और वहां पर
रक्त की बूंदें
लगने लगी हो रिसने।
भीतर कुछ लगा हो सिसकने।
यह कैसा बर्ताव है
कि आदमी निर्जीव वस्तुओं पर
खरोंच लगने पर लगता है सिसकने
और किसी हद तक तड़पने ?
वह अपने जीवन में
जाने अनजाने
कितने ही संवेदनशील मुद्दों पर
असहिष्णु होकर
अपने इर्द-गिर्द रहते
प्राणियों पर कर देता है आघात।
सचमुच ! वह अंधा बना रहता ,
उसे आता नहीं नज़र
कुछ भी अपने आसपास !
यदि अचानक निर्जीव पदार्थ और सजीव देह पर
उसे खरोंच दिख जाए तो वह हो जाता है उदास।
क्या आदमी के बहुत से क्रियाकलाप
होते नहीं एकदम बकवास और बेकार ?
१२/०३/२०२५.
मनुष्य
जब तक स्वयं को
संयम में
रखता है
मर्यादा बनी रहती है ,
जीवन में
शुचिता
सुगंध बिखेरती रहती है,
संबंध सुखदायक बने रहते हैं
और जैसे ही
मनुष्य
मर्यादा की
लक्ष्मण रेखा को भूला ,
वैसे ही
हुआ उसका अधोपतन !
जीवन का सद्भभाव बिखर गया !
जीवन में दुःख और अभाव का
आगमन हुआ !
आदमी को तुच्छता का बोध हुआ ,
जिजीविषा ने भी घुटने टेक दिए !
समझो आस के दीप भी बुझ गए !
मर्यादाहीन मनुष्य ने अपने कर्म
अनमने होकर करने शुरू किए !
सुख के पुष्प भी धीरे धीरे सूख गए !!
मर्यादा में रहना है
सुख , समृद्धि और संपन्नता से जुड़े रहना !
मर्यादा भंग करना
बन जाता है अक्सर
जीवन को बदरंग करना !
अस्तित्व के सम्मुख
प्रश्नचिह्न अंकित करना !!
मन की शांति हरना !!
१२/०३/२०२५.
जीवन में
अपने बच्चों को
आज़ादी दे कर
उन्मुक्त रहकर उड़ने दो।
उन्हें जीवन में एक लक्ष्य दो।
फिर उन्हें बगैर हस्तक्षेप
मंज़िल की ओर बढ़ने दो।
उन्हें जी भरकर
अपने रंग ढंग से
जीवनाकाश में
परवाज़ भरने दो।

समय रहते
मोह के बंधनों से
उन्हें मुक्त कर दो
ताकि वे अपने परों को
भरपूर जीवन शक्ति से
खोल सकें,
मन माफ़िक दिशा में
उड़ारी भर सकें।
जीवन यात्रा में
अपनी मंज़िल को
सहर्ष वर सकें।


तनाव रहित जीवन चर्या से
अच्छे से परवाज़ भरी जाती है,
अतः बच्चों के भीतर
आत्मविश्वास भरने दो,
उन्हें अपने सपने साकार करने दो।
उन्हें परवाज़ के लिए खुले छोड़ दो
ताकि उनका जीवन यात्रा पथ के लिए
अपने को कर सके समय रहते तैयार।
वे करें न कभी आप से
कभी कोई शिकवा और शिकायत।
उन्हें मिलनी ही चाहिए
ऊर्जा भरपूर रवायत ,
परवाज़ भरने की !
मंज़िल वरने की !!
११/०३/२०२५.
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