मनुष्य के समस्त कार्यकलापों का
है आधार,
भावनाओं का व्यापार।
कोई भी
व्यवसाय को
देखिए और समझिए,
एक सीधा सा
गणित नज़र आता है,
वह है
भावनाओं को समझना
और तदनुरूप
अपना कार्य करना ,
अपने को ढालना।
यह भावनाएं ही हैं
जो हमें जीवन धारा से
जोड़े रखती हैं,
हमारे भीतर जीवंतता
बनाए रखती हैं।
जिसने भी
इन्हें समझ लिया,
उसने अपना उन्नति पथ
प्रशस्त कर लिया।
यह वह व्यापार है
जो कभी फीका नहीं पड़ता,
इसे करने वाला
जीवन में न केवल प्रखर
है होता रहता ,
बल्कि वह संतुलित दृष्टिकोण से
निरन्तर आगे ही आगे है बढ़ता।
भावनाओं का व्यापारी
दर्शन और मनोविज्ञान का
है ज्ञाता होता ,और वह सतत्
अपना परिष्कार करता रहता,
जीवन यात्रा को
आसानी से गंतव्य तक पहुंचाता।
०८/०३/२०२५.