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ਮੁੱਕਿਆ ਕੰਮ ,
ਹੁਣ ਕੁਝ ਮਿਲਿਆ ਆਰਾਮ।
ਪਰ ਰੁਕੀਂ ਨਾ ਮਿੱਤਰਾ !
ਹਾਸਿਲ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ
ਹੁਣ ਤੱਕ ਮੁਕਾਮ।
ਕੰਮ ਨੇ ਤਾਂ ਮੁੜ ਘਿਰ ਫਿਰ ਕੇ
ਫਿਰ ਆ ਜਾਣਾ ਹੈ ,
ਬੰਦਾ ਆਪਣੇ ਕੰਮਾਂ ਵਿੱਚ
ਹਮੇਸ਼ਾ ਰੁਝਿਆ ਰਹਿਗਾ,
ਆਖਿਰ ਕਦੋਂ ਉਹ
ਆਪਣੀਆਂ ਰੀਝਾਂ ਤੇ ਸੱਧਰਾਂ ਨੂੰ
ਪੁਰਾ ਕਰੇਗਾ ?
ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿੱਚ ਅੱਗੇ ਵਧੇਗਾ।
ਆਪਣੇ ਮੁਕਾਮ ਨੂੰ
ਹਾਸਿਲ ਕਰਨ ਲਈ
ਵੱਧ ਚੜ੍ਹ ਕੇ ਕੰਮ ਕਰੇਗਾ।
ਉਹ ਕਦੀ ਅਵੇਸਲਾ ਨਹੀਂ ਬਣੇਗਾ।
ਉਹ ਵਿਹਲੜ ਰਹਿ ਕੇ
ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਵਿੱਚ ਭਟਕਦਿਆਂ ਹੋਇਆ
ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਤੋਂ
ਵਾਂਝਾ ਨਹੀਂ ਕਰੇਗਾ।
07/01/2025.
हमारे यहां
अज्ञान के अंधेरे को
बदतर
अंधा करने वाला
माना जाता है।
फिर भी
कितने लोग अपने भीतर
झांककर
उजास की
अनुभूति कर पाते हैं ?
बल्कि वे जीवन में
मतवातर
भटकते रहते हैं।
अचानक रोशनी जाने से
मैं अपने आस पास को ढंग से
देख नहीं पाया था,
फलत: मेरा सिर
दीवार से जा टकराया था।
कुछ समय तक
मैं लड़खड़ाया था,
बड़ी मुश्किल से
ख़ुद को संभाल पाया था।
बस इस छोटी सी चूक से
मुझे अंधेरा अंधा कर देता है ,
जैसा खयाल मनो मस्तिष्क में
कौंध गया था।
इस पल मैं सचमुच
चौंक गया था।
यह सच है कि
घुप अंधेरा सच में
आदमी की देखने की सामर्थ्य को
कम कर देता है।
वह अंधा होकर
अज्ञान की दीवार से
टकरा जाता है।
इस टकरा जाने पर
उठे दर्द से
वह चौकन्ना भी हो जाता है।
वह संभलने की कोशिश कर पाता है।
यकीनन एक दिन वह
गिरकर संभलना सीख जाता है।
वह अथक परिश्रम के बूते आगे बढ़ पाता है।
०७/०१/२०२५.
समय को किसने देखा ?
समय दिखता नहीं ,
पर इसे किया जा सकता है महसूस।
रेत पर पड़ जाते हैं
पाँवों के निशान
और उन का अनुसरण करते हुए
पहुँचा जा सकता है
एक नतीजे पर ,
एक मंज़िल पर ,
किया जा सकता है एक सफ़र
सिफ़र होने तक।
यह सब समय रेखा तक
पहुँचने की
हो सकती है एक कोशिश ,
जिसमें छिप जाए
कभी कभी  
समय को जानने पहचानने की कशिश।

हर आदमी ,देश,दुनिया, समाज, घटना,दुर्घटना,
और बहुत कुछ
जुड़ी हुई है
समय रेखा से।
इसे देश धर्म के विकास और पतन के केन्द्र में
किया जा सकता है
विवेचित और व्याख्यायित।
समय चेतना , समायोचित क़दम बढ़ाना है।
और समयरेखा निर्मित करना समय को
समझने बुझने का एक सुंदर पैमाना है।
०७/०१/२०२५.
महाभारत में कौन थी मत्स्य कन्या
जिसने किया था विवाह
राजा शांतनु से और
जिसका संबंध
भीष्म पितामह से
आजीवन ब्रह्मचर्य  का पालन करने
और कुरु वंश  का संरक्षक बने रहने के
वचन लेने से
जोड़ा जाता
है ?
इस बाबत मुझे सूचित कीजिए !
मेरे भीतर व्याप्त भ्रम को  तनिक दूर कीजिए !!
हो सकता है कि  मैं गलत हूं।
मां सत्यवती के बारे में
मेरी जिज्ञासा शान्त कीजिए।

मरमेड की बाबत आपने सुना होगा।
अपने जीवन में भी एक जलपरी की खोज कीजिए।
सतरंगी इंद्रधनुषी मछली
और
गिप्पी मछली के बारे में भी
कुछ खोजबीन कीजिए ,
अपनी सोच में
एक मीन को भी जगह दीजिए।
शायद कोई मीन जैसी आंखों वाली
कोई गुड़िया दिख जाए।
जीवन के प्रति आकर्षण बढ़ जाए।
जीवन में धरा पर ही नहीं जीवन है ,
बल्कि यह आकाश और जल में भी पनपता है ,
इस बाबत भी सोचिए।
उनके लिए भी सोचिए
जो धरा से इतर
जल और वायु में श्वास ले रहे हैं !
जीवन को आकर्षक बनाने में भरपूर योगदान दे रहे हैं!!
०७/०१/२०२५.
कल ख़बर आई थी कि
शहर में
अचानक
सुबह सात बजे
एक इमारत
धराशाई हो गई
गनीमत यह रही कि
प्रशासन ने
एक सप्ताह पूर्व
इस इमारत को
असुरक्षित घोषित
करवा दिया था
वरना जान और माल का
हो सकता था
बड़ा भारी भरकम नुक्सान।

आज इस बाबत
अख़बार में ख़बर पढ़ी
यह महफ़िल रेस्टोरेंट वाली
इमारत थी
वहीं पास की इमारत में
मेरे पिता नौकरी करते थे।
इस पर मुझे लगा कि
कहीं मेरे भीतर से भी
कुछ भुर-भुरा कर
झर रहा है ,
समय बीतने के साथ साथ
मेरे भीतर से भी
इस कुछ का झरना  
मतवातर बढ़ता जा रहा है ,
यह तन और मन भी
किसी हद तक धीरे धीरे
खोखला होता जा रहा है।
जीवन में से कुछ
महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दों का कम होना
जीवन में  खालीपन को भरता जा रहा है।
मुझे यकायक अहसास हुआ कि इर्द-गिर्द
कुछ नया बन रहा है ,
कुछ पुराना धीरे-धीरे
मरता जा रहा है ,
जीवन के इर्द-गिर्द कोई
चुपचाप मकड़जाल बुन रहा है।

ज्यों ज्यों शहर
तरक्की कर रहा है,
त्यों त्यों बाज़ार
अपनी कीमत बढ़ा रहा है।
यह इमारत भी कीमती होकर
तीस करोड़ी हो चुकी थी।
आजकल इस के भीतर
रेनोवेशन का काम चल रहा था।
वह भी बिना किसी से
प्रशासनिक अनुमति लिए।

प्रशासन ने बगैर कोई देरी किए
शहर भर की पुरानी पड़ चुकी इमारतों का
स्ट्रक्चरल आडिट करवाने का दे दिया है आदेश।

मैं भी एक पचास साल से भी
ज़्यादा पुराने मकान में रह रहा हूं ,
मैं चाहता हूं कि
बुढ़ाते शहर की पुरानी इमारतों को
स्ट्रक्चरल आडिट रिपोर्ट के
नियम के तहत लाया जाए ।
असमय शहरी जनसंख्या को
दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाया जाए।

और हां, यह बताना तो
मैं भूल ही गया कि मेरा शहर
भूकम्प की संभावना वाली
एक अतिसंवेदनशील श्रेणी में आता है।
फिर भी यहां बहुत कुछ
उल्टा-सीधा होता नज़र आता है ,
यहां का सब कुछ भ्रष्टाचार से मुक्त होना चाहता है।
पर विडंबना है कि अचानक इमारत के
गिरने जैसी दुर्घटना के इंतजार में
इस शहर की व्यवस्था
आदमी के असुरक्षित होने का
हरपल अमानुषिक अहसास करवाती है।
क्यों यहां सब कुछ ,
कुछ कुछ अराजकता के
यत्र तत्र सर्वत्र व्यापे  होने का
बोध करा रहा है ?
क्या यहां सब कुछ  
मलियामेट होने के लिए सृजित हुआ है ?
कभी कभी यह शहर
अस्त व्यस्त और ध्वस्त जैसे
अनचाहे दृश्य दिखाता दिखाई देता है ,
चुपके से मन को ठेस पहुंचा देता है।
०७/०१/२०२५.
साला
कोल्हू का बैल
खेल गया खेल !
नियत समय पर
आने की कहकर
हो गया रफूचक्कर !!
आने दो
बनाता हूँ उसे घनचक्कर!
यह सब एक दिन
कोल्हू के बैल के
मालिक ने यह सब सोचा था।
पर कोल्हू का बैल
बड़ी सफ़ाई से
खुद को बचा गया था।
आज वह अपने मालिक को
वक़्त की गति को पूर्णतः
गया है समझ
कि विश्व गया है बदल
अतः उसे भी अब बदलना होगा।
जैसे की तैसे वाली नीति पर चलना होगा।
अब वह मालिक को सबक
सिखाना चाहता है
और मालिक से सीख लेने की बजाय
मालिक को भीख और
अनूठी सीख देना चाहता है।

आज मिस्टर बैल तो
आगे बढ़ा ही है, उसका मालिक भी
अभूतपूर्व गति से गया है बढ़ !
वह कोल्हू के बैल से और सख्ती से लेता है काम।

कोल्हू का बैल
सोचता रहता है अक्सर कि
क्या खरगोश और कछुए की दौड़ में
आज कछुआ जीत भी पाएगा ?
साले खरगोश ने तो
अब तक अपनी यश कथा
पढ़ी ही नहीं होगी,
बल्कि उस दुर्घटना से
जीवन सीख भी ले ली होगी कि
दौड़ में रुके नहीं कि गए काम से !
फिर तो ज़िन्दगी भर रोते रहना आराम से !!
यह सोच वह मुस्कराया और जुट गया
अपने काम में जी जान से।
उसे भी जीवन की दौड़ में
पीछे नहीं रहना है।
समय के बहाव में बहना है।
१४/११/१९९६.
In an illusionary world
how can a person keep
stablise his mind to revive the peace and calmness in daily life.
When everything here is positioned in a topsy turvey state.
Than how can a person keep his promises to execute in life?
So that the life reflects it' s glory in present  scenario of the human society.
To maintain the rhythm of life in a topsy turvey state of mind is very essential for all to sustain the peace of mind.
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