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यह ठीक नहीं कि
बदले माहौल में ,
हम पाला बदल कर
कर दें आत्म समर्पण ,
यह तो कायरता है।
अपना पक्ष जरूर साफ़ करें ,
पर खुद को दिग्भ्रमित न करें।

बिना वज़ह का विरोध ठीक नहीं,
अच्छा रहेगा कि हम खुद में सुधार करें।
अपनी दशा और दिशा को
अपने स्वार्थों से ऊपर उठाकर
निज की जीवन शैली को समय रहते
परिवर्तित कर और प्रतिस्पर्धी बनकर
स्वयं को परिष्कृत करें,
जीवन में ज़्यादा देर न रुके रहकर  
जीवन पथ पर अपनी संवेदना को बढ़ाकर
जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करें।
हम अहंकार और दुराग्रह से पोषित होकर
जीवन की शुचिता का कभी तिरस्कार न करें ।
हम जीवन की शिक्षा को भीतर तक आत्मसात करें।
०१/०१/२०२५.
To know more about ourselves and surroundings
is our collective responsibility
because there is always a scope to explore our hidden capabilities in life
properly .
So that we can feel the presence of positivity and prosperity in our life style.
For this noble purpose in life ,
utalise your knowledge positively and properly.
So that life can never seems to us ugly and unhealthy.
आजकल देश दुनिया में
जितनी समस्याएं
संकट बनकर चुनौतियां दे रहीं हैं
उसके अनुपात में
विकल्प ढूंढ़ने के लिए
संकल्पना का होना अपरिहार्य है।
इससे कम न अधिक स्वीकार्य है।
हम सबके संकल्प
होने चाहिएं दृढ़ता का आधार लिए
ताकि संतुलित जीवन दृष्टि
हमें सतत् आगे बढ़ाने के लिए
पुरज़ोर प्रोत्साहित करती रहे।
समाज में वैषम्य किसी हद तक
कम किया जा सके।
समस्त बंधु बांधवों में
नई ऊर्जा और उत्साह से निर्मित
उमंग तरंग और चेतना जगाकर
देश दुनिया व समाज को
नित्य नूतन नवीन रास्ते पर
चलने , आगे बढ़ने के लिए
निरंतर प्रयास किए जा सकें।
सबके लिए
संभावना के द्वार खोले जा सकें।
सभी बंधुओं को
जड़ों से जोड़कर
उनका जीवन पथ प्रशस्त किया जा ‌सके।
उनके मन-मस्तिष्क के
भीतर उजास जगाया जा सके।
उन्हें उदास होने से बचाया जा सके।
आज सभी को खोजने होंगे
जीवन में आगे बढ़ने के निमित्त
नित्य नूतन विकल्प,
वह भी दृढ़ संकल्प शक्ति के साथ
ताकि सभी जीवन में जूझ सकें।
अपने भीतर मनुष्योचित
सूझबूझ और पुरुषार्थ उत्पन्न कर सकें।
जीवन में सुख समृद्धि और सम्पन्नता को वर सकें।
०१/०१/२०२५.
Joginder Singh Dec 2024
यह जीवन किसी को
कभी भीख में
नहीं मिला,
यही रही है
मेरे सम्मुख
बीते पलों की सीख।
अब जो
समय
गुजारना है,
उसमें अपने आप को
संभालना है,
बीते पलों से सीख लेकर
खुद को
अब निखारना है।
आने वाला कल बेशक अनिश्चित है
पर कभी तो अपने भीतर
पड़ेगा झांकना ,
यह करना पड़ेगा अब
हम सब को सुनिश्चित ,
ताकि तलाश सकें सब
भविष्य में सुरक्षित जीवन धारा के
आगमन की मंगलमयी
संभावना को,
तजकर भीतर सुप्तावस्था में पड़ीं
समस्त पूर्वाग्रह और दुराग्रह से ग्रस्त
दुर्भावनाओं को।

आओ हम सब अपनी मौलिकता को
बरकरार रखकर जोड़ें ,
जीवन को, आमूल चूल परिवर्तन की
अपरिहार्य हवाओं से ,
अतीतोन्मुखी जड़ों से ,
ताकि हम सब मिलकर इस जीवन में
अभिन्नता सिद्ध कर सकें
परम्परा और आधुनिकता के समावेश की।
अंतर्ध्वनियां सुन सकें,
अपने बाहर और भीतर व्यापे परिवेश की।
०१/०१/२०२५.
Joginder Singh Dec 2024
इस संसार में
आपको कुछ लोग
ऐसे मिलेंगे
जो कहेंगे कुछ ,
करेंगे कुछ और !
ऐसे ही लोग
जीवन को अपनी कथनी
और करनी में अंतर कर
बना देते हैं पूर्णतः तुच्छ।
उनकी बातों से लगेगा,
जीवन होना चाहिए
साफ़ सुथरा और स्वच्छ।
असल में स्वर्ग से भी अनुपम
यह जीव जगत और जीवन
बन गया है इस वज़ह से नर्क।
दोहरेपन और दोगलेपन ने ही
चहुं ओर सबका कर दिया है बेड़ा ग़र्क।
आज संबंध शिथिल पड़ गए हैं।
लगता है कि सब
इस स्थिति से थक गए हैं।
यह जीवन का वैचारिक मतभेद ही है,
जिसने जीवन में मनभेद
भीतर तक भर दिया है।
आदमी को बेबसी का दंश दिया है।
उसका दंभ कहीं गहरे तक
चूर चूर कर, चकनाचूर  कर दिया है।
इस सब ने मिलकर मनों में कड़वाहट भर दी है।
जीवन की राह में कांटों को  बिखेरकर
ज़िन्दगी जीना , दुश्वारियों से जूझने जैसी ,
दुष्कर और चुनौतीपूर्ण कर दी है।
ऐसी मनोदशा ने आदमी को
किंकर्तव्यविमूढ़ और अन्यमनस्क बना दिया है।
उसे दोहरी जिंदगी जीने और जिम्मेदारी ने विवश किया है।
जीवन विपर्यय ने आज आदमी की
आकांक्षाओं और स्वप्नों को तहस नहस व ध्वस्त किया है।
३१/१२/२०२४.
जूझने
Joginder Singh Dec 2024
Arrival of new year
demands always clarity of the mind .
We promise it with an oath of sincerity
and often tries to executive our resolutions in the life .
Till the last day of the previous year,
we collect a lot of dust in our minds
regarding the cleanliness in daily routine of the life.
We always required a lot of improvement to stablise the values in every sector of life.
Joginder Singh Dec 2024
A struggler
lives a life of layman
who is very sensitive.
He seldom morally dies
even in hard times,
his painful cries
can be rarely heard
here and there
during constantly wandering in
the journey of life.
He remains a pain absorber
through out his life.
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