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Joginder Singh Dec 2024
ਇਸ਼ਕ ਹੋਵੇ
ਤਾਂ ਅਣਖ ਨਾਲ ‌‌!
ਬੰਦਾ ਜੀਵੇ
ਮੜ੍ਹਕ ਨਾਲ !!

ਕਹਿੰਦੀ ਹੈ
ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਸਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ,
ਮੜ੍ਹਕ ਨਾਲ ਜੀਇਆ ਕਰੋ ।
ਕਿਵੇਂ ਨਾ ਮਿਲੂ ਸੁਕੂਨ ?
Joginder Singh Dec 2024
I am a 🤡 clown
blessed with a handsome son.
But
I feel ashamed
when he expressed his unhappiness while pointing to my goatee beard.

He feels insulted
among his friends
that his papa looks like a thinner personality
made of single bone very less flesh.

And
when I tried myself to imagine as a fatty father
looks like a 🏈 football
running across a playground
Just wandering here and there
with a speed , wasting no time.

And when I assessed myself as a father in my son's eyes ,
I can understand,
I found myself standing nowhere,
neither near nor far.

Is this fair or unfair judgement
from the 👀 of a father who stands nowhere in life except smiles 😊😁😊!
Joginder Singh Dec 2024
Eyes are watching constantly our human activities.
Too much  workload on them can make us blind.
That' s why we must keep control on our self to spend excessive amount of time to view the 📺,T.V., 🖥️ computer, 📱 mobile phone etc., is harmful.

For such reasons
all of us must keep our eyes
neat and clean.
Preferably we must reduce our screen time for the healthy eyes.

Eyes works as a gateway to the World as well as Universe.
Too much usage of eyes can bring a curse and damage to human lives .

Protect  your eyes first.
They also works as the windows of the life.

Eyes are very sensitive towards light.
They have abilities to adjust the amount of light  present in our surroundings.
But they have limitations, we must try ourselves to know about these limitations.
Light plays a very important role in our lives.
It is essential for our eye sight.

Loss of light makes life miserable. In this regard sound sleep and rest must  be preferable to us.
Joginder Singh Dec 2024
To live life
among under privileged persons for caring them needs a sense of dedication in the depths of mind ,
is very rare these days.

It inspires to all of us
to control our nerves
in hard times of life.

So, take care of them,
to maintain  rhythm of life in them .
Don't restrained yourself to take care and helpful for neglected , helpless persons in our lives.

If we are successful in our lives, we have achieved a special purpose in our minds to keep intact our unmatchable smiles during the journey of life.

Caring is blessings of God for all,
big or small.
Joginder Singh Dec 2024
जो कभी सोचा न था।
वो ही क्यों हो जाता है घटित?
आदमी ऐसे में क्या करे?
खुशी का इज़हार करे,
या फिर भीतर तनाव भरे ?
जो कभी सोचा भी न था,
वो भी मेरे पास मौजूद था।
फिर  भी  मैं  उदास  था ,
दिल का करार नदारद था।
आदमी मैं होशियार न था।
जीवन में बच्चा बना
खेल खेलता रहा।
खिलौने बटोरता रहा।
रूठ कर इन्हें तोड़ता रहा ।
कुछ खो जाने की कसक से
मतवातर रोता ही रहा।
साथ साथ सोचता भी रहा।
जो कभी सोचा न था।
वो सब मेरे साथ घटा।
मैं टुकड़ों में बंटता रहा।
ऐसा मेरे साथ क्यों हुआ ?
ऐसा सब के साथ क्यों ,
होता रहा है हर पल पल !
पास के आदमी दूर लगें!
दूर के आदमी एकदम पास!
जो कभी सोचा न था।
वो जीवन में घटता है।
यह आगे ही आगे बढ़ता है।
कभी न रुकने के लिए!
जी भर कर जीने के लिए!!
अब सब यहां
महत्वाकांक्षा लिए
भटक रहें हैं,
सुख को तरस रहे हैं।
जीवन बढ़ रहा है
अपनी गति से।
कोई विरला यहां काम
करता सहज मति से।
यही जीवन का बंधन है।
इससे छूटे नहीं कि लगे ,
सुन रहा कोई अनाम यहां
क्रंदन ही क्रंदन की कर्कश
ध्वनियां प्रतिध्वनियां पल ,पल।
कर रहीं बेचैन पल प्रति पल स्व को।
फिर भी जीवन बदल रहा है  प्रति पल ,
अपने रंग ढंग क्षण श्रण ,
धूप और छाया के संग खेल,खेल कर
यह क्षणिक व प्यार भरा जीवन
एक अनोखा बंधन ही तो है।
२८/१०/२००७.
Joginder Singh Dec 2024
यदि तुम अंतर्मुखी हो
और अपने बारे में कुछ कहना नहीं चाहते
तो इससे अच्छी बात क्या होगी ?
'दुनिया  तुम्हें  जानने  के  लिए  उतावली  है । '
इस संदर्भ में ऊपर लिखित पंक्ति कोरा झूठ ही होगी।
इसे तुम अच्छी तरह से जानते हो;
बल्कि
इस सच को
भली भांति पहचानते हो , मेरे अंतर्मुखी दोस्त !


यदि तुम बहिर्मुखी हो
और अपने बारे में सब कुछ,
सच और झूठ सहित, कहने को उतावले हो
तो इससे बुरी बात क्या होगी?
'आदमी नंगेपन की सभी सीमाएं लांघ जाए ।'
दुनिया इसे भीतर से कभी स्वीकारेगी नहीं ;
भले ही ,वह
तुम्हारे सामने
खुलेपन का इज़हार करे,
इसे तुम अच्छी तरह से जानते हो ,
बल्कि इसे भली भांति
दृढ़ता से मानते हो , मेरे बहिर्मुखी दोस्त !
आज हम सब
एक अनिश्चित समय में
स्वयं की
धारणाओं के मिथ्यात्व से
रहे हैं जूझ,
और निज के विचारों को
समय की कसौटी पर कस कर
आगे बढ़ने के वास्ते
ढूंढते हैं नित्य नवीन रास्ते ।
हम करते रहते हैं
अपनी पथ पर आगे बढ़ते हुए ,
निरंतर संशोधन !
अच्छा रहेगा/  हम सभी / स्वयं को / संतुलित करें ;
अन्तर्मुखता और बहिर्मुखता के
गुणों और अवगुणों को तटस्थता से समझें और गुने ।
अपनी खूबियों पर
अटल रहते हुए,
अपनी कमियों को
धीरे-धीरे त्यागते हुए ,
पर्दे में अपने स्वाभिमान को रखकर ,
निज को हालातों के अनुरूप ढालकर ,
नूतन जीवन शैली और जीवनचर्या का वरण करें ,
न कि जीवन में क़दम क़दम पर
भीड़ का हिस्सा बनाकर उसकी नकल करें।
क्यों न हम सब अपनी मौलिकता से जुड़ें !
जीवन को  सुख ,संपन्नता , सौंदर्य से जोड़कर आगे बढ़ें ।८/१०/२०१७.
Joginder Singh Dec 2024
परम
एक अनूठा जादूगर है
वह जीवन में
अपने जादू से कण कण को जगा रहा !
क्षण क्षण
सबको आगे बढ़ा रहा !
वह जीवन का जादू
सब के अंतर्घट में जगा रहा है।
इस धरा पर
जन्म और मरण के रंग
बिखेर रहा है।

वह
जीवन का जादूगर
कहता है सबसे
अपने अपने जीवन में
तन मन से
स्वयं को एकाग्रचित कर
मेरे धूप छाईं रंग देखते रहो ।
जीवन  पथ पर अग्रसर बने रहो।

जीवन का अनूठा जादूगर
रखता है यह आस सबसे।
सब ऐसे काम करें
कि जीवन सम्मोहित करता सा लगे ,
इस जीवन में
कोई भी
डरता हुआ न लगे ,
सब जीवन संग्राम में बहादुरी से लड़ें,आगे बढ़े ।


जीवन का यह अनूठा जादूगर
अपने अनूठे अंदाज से
सृष्टि की दिव्य दृष्टि का
स्नेहिल गीत
समय के साथ गाता रहे !
जीव का जीवन सत्य से नाता जुड़ा रहे!!

कायनात का सृजन हार
इस धरा को
अपने जादू से
सभी को
अचंभित करता रहे ,
वह जीवन बगिया को
अपनी उपस्थिति से महकाता रहे ।
जीवन से अखंड प्यार करने का पाठ
अनूठा जादूगर सभी को सतत् पढ़ाता रहे।
वह अपने अनुकंपा से
स्नेह के सम्मोहक पुष्प सब पर बिखेरता रहे।

२८/१०/२००७.
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