मौनी बाबा को याद करते हुए ,
जीवन धारा के साथ बहते हुए ,
जब कभी किसी वृक्ष को कटते देखता हूं,
तब मुझे आता है यह विचार कि
ये मौनी बाबा सरीखे
तपस्वी होते हैं।
सारी उम्र
वे
धैर्य टूटने की हद तक
सदैव खड़े होकर
श्वास परश्वास की क्रिया को
दोहराते हुए
अपनी जीवन यात्रा को पूरा करते हैं !
मौन का संगीत रचते हैं !!
आओ हम उनकी देख रेख करें,
उनकी सेवा सुश्रुषा करते रहें ।
आओ,
हम उनकी आयु बढ़ाने के प्रयास करें ,
न कि उन्हें
अकारण धरा पर
बिछाने का दुस्साहस करें।
यदि वे
सतत चिंतनरत से
धरा पर रहते हैं खड़े
तो वे न केवल
आकाश रखेंगे साफ़,
हवा , बादल , वर्षा को भी
करते रहेंगे
आमंत्रित ।
बल्कि
वे हमारे प्राण रक्षक बनकर
हमारी श्रीवृद्धि में भी बनेंगे
सहायक।
ऐसे दानिश्वर से
कब तक हम छल कपट करते रहेंगे ?
यदि हम ऐसा करेंगे
तो यकीनन जीवन को
और ज्यादा नारकीय करेंगे।
व्यक्तिगत स्तर पर
'डा.फास्टस' की मौत को करेंगे।
पेड़
ऋषिकेश वाले
मौनी बाबा की याद
दिलाते हैं।
वे प्रति दानी होकर
साधारण जीवों से
कहीं आगे बढ़ जाते हैं,
यश की पताका फहरा पाते हैं।
मानव रूप में
मौनी बाबा
अख़बार पढ़ते देखें जाते हैं
पर शांत तपस्वी से पेड़
खड़े खड़े जीवन की ख़बर बन जाते हैं ,
पर कोई विरला ही
उनका मौन पाता है पढ़।
उनसे प्रेरणा प्राप्त करते हुए
जीवन पथ पर आगे बढ़ने का
जुटा पाता है साहस !
कर पाता है सात्विक प्रयास !!
०८/१०/२००७.