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Joginder Singh Nov 2024
अचानक
मेरे साथ
धोखा हो गया,जब पता चला,
जिसे मैने अच्छा समझा,
वह पाला बदल कर
ओछा हो गया।
वह दगा बाज़ी कर
प्यार और सुकून को
चुपके चुपके चोरी चोरी ले गया।
सोचता हूँ
यह सब क्यों हुआ ?
मैंने उस पर विश्वास किया
और उसने आघात किया।
जिन्दगी में
अकस्मात
घट जाती है दुर्घटना,
भीतर रह जाती  है वेदना।
धोखेबाजी से बचना
कभी कभी होता है मुश्किल ,
यह अक्ल पर
पर्दे पड़ने पर
संभव हो पाती है,
जीते जी जिंदगी को नरक
बना जाती है।



मेरे साथ धोखा हुआ,
आज अच्छा भी , ओछा बना।
चलो,समझ बढ़ाने का , एक मौका मिला।
किस से करूं ,
इस बाबत कोई शिकवा गिला ?
धोखा मिलना, धोखा देना,
है ज़िन्दगी में न रुकने वाला सिलसिला।
२८/११/२०२४.
Joginder Singh Nov 2024
कभी प्यार के इर्द-गिर्द
मंडराया करती थीं
मनमोहक ,रंग बिरंगी ,
अलबेली उड़ान भरतीं
तितलियां।
अब वहां बची हैं
तो तल्ख़ियां ही तल्ख़ियां ।

कभी उनसे
मिलने और मिलाने का ,
अखियां मिलाने और छुपाने का
सिलसिला
अच्छा खासा रहा था चल
फिर अचानक हमारे बीच
आ गया था चंचल मन
मचाया था उसने उत्पात
किया था उसने हुड़दंग ।


बस फिर क्या था
यह सिलसिला गया था थम
समझो सब कुछ हुआ खत्म
फिर हमारे बीच तकरार आ गई
यह संबंधों को खा गई
प्यार के वसंत के बाद
अचानक एक काली अंधेरी आ गई
जो मेरे और उनके बीच एक दीवार उठा गई।


अभी हम मिलते हैं,
पर दिल की बात नहीं कह पाते हैं,
अपने बीच एक दीवार,
उस दीवार पर भी एक दरार
देख पाते हैं,
हमें अपने हुजूर के आसपास
मकड़ी के जाले लगे नजर आते हैं,
हम उस मकड़ जाल में फंसते चले जाते हैं।

अब यह दीवार
और ऊंची उठती जा रही है ।
कभी-कभी
मैं इस दीवार के इधर
और वह इस दीवार के उधर
या फिर इससे उल्ट।

जब इस स्थिति  को पलटते हैं ,
तो वह इस दीवार के इधर ,
और मैं इस दीवार के उधर ,
आते हैं नज़र ।
हम ना मिल सकते के लिए
हैं अब अभिशप्त
तो अब हमारे घरों में
तल्ख़ियां आ गईं हैं,
और हम चुप रहते हैं,
अंदर ही अंदर सड़ते रहते हैं ।

आज हमारे जीवन में अब
कहां चली गई है मौज मस्ती ?
अब तो बस हमारे संबंधों में
तल्ख़ियां और कड़वाहट ही बचीं हैं।
जीवन में मौज मस्ती बीती बात हुई।
यह कहीं उम्र बढ़ने के साथ पीछे छूटती गई।
अब तो बस मन में
तल्ख़ियां और कड़वाहटें भरती जा रहीं हैं।
यह हमें हर रोज़ की ज़िंदगी में घुटनों के बल ला  रही हैं ।
हाय ! प्यार में तल्खियां बढ़ती जा रहीं हैं।
यह दिन रात हमारे अस्तित्व को खा रहीं हैं।
Joginder Singh Nov 2024
Oh dear!

Find the pearl of love
  
in the ocean of emotions

for me and self .

It  will strengthen the bonds of affection
for me and you.

Nowadays attractions of life,sun and smiles is turned into affection.

So avoid distractions in present life.
Time is passing through us rapidly.
You must understand it clearly.

Yours
Hours of Life.
Joginder Singh Nov 2024
Time! Time!
Wash out my timidness.
I want to be a good person for the dignity of life.
But my timidness is a hurdle in my way.
So wash out my timidness.
To find the way of lost happiness.
Joginder Singh Nov 2024
शक की परिधि में आना
नहीं है कोई अच्छी बात,
यह तो स्वयं पर
करना है आघात।

अतः जीवन में
आत्महंता व्यवहार
कभी भी न करो,
अपने मन को काबू में करो।
अपने क्रिया कलापों को
शुचिता केन्द्रित बनाओ।
अपने नैतिकता विरोधी
व्यहवार को छोड़ दो।
खुद को संदिग्ध होने से बचाओ।
शक की परिधि में आने से खुद को रोको।
एक संयमित जीवन जीने का आगाज़ करो।

तुम सब अपना जीवन
कीचड़ में पले बढ़े
पुष्पित पल्लवित हुए
कमल पुष्प सा व्यतीत करो।

आज के प्रलोभन भरपूर
जीवन में शुचिता को अपनाओ।
यह मन को शुद्ध बनाती है।
यह व्यक्ति को प्रबुद्ध कर
मन के भीतर कमल खिला कर
जीवन को
जीवन्त और आकर्षण भरपूर
बनाती है,
यह शुचिता
व्यक्ति के भीतर
सकारात्मकता के बहुरंगी पुष्पों को
खिलाती है।

मित्र प्यारे,
तुम अपने भीतर
शुचिता के कमल खिलाओ। ताकि तुम स्वत:
जीवन को साधन संपन्नता का
उपहार दे पाओ ।
जीवन में
लक्ष्य सिद्धि तक
सुगमता और सहजता से
पहुंच पाओ।

दोस्त,
तुम अपने भीतर
शुचिता के कमल खिलाओ।
अंतर्मन में परम की अनुभूति कर पाओ।
  २८/११/२०२४.
Joginder Singh Nov 2024
I am a witness of the day to day activities of mind,
where
Some desires die so early
because of craziness of man
or of laziness in life.

How can a man find
his source of happiness and inspiration
in his routine activities of mind?

Is through concentrating for meditation ?
To increase and enhance mental energy existing in the mind.

In  such circumstances
sometimes
Inner consciousness guides him
by creating a constructive idea in the mind that he must involve himself in such activities where energy is required in great abundance.

Then and then only,
one can enter in the territory of calmness, contentment and the peace of mind while facing life.
Joginder Singh Nov 2024
देश तुम सोए हो गहरी नींद में ,
लुटेरे लूट रहे हैं तुम्हारा वैभव हाकिमों के वेश में ।

सत्ता बनी आज विपदा ,
रही जनसाधारण को सता,जनादेश जैसे भावावेगों से।

देश तुम जागो ,सोए क्यों हो ?
निद्रा सुख में खोये खोये से क्यों हो ?

उठो देश,धधक उठो आग होकर ,
बोल उठो, देश,आज युग-धर्म की आवाज़ होकर ।

देश उठो, वंचितों में जोश भरो,
शोषितों पीड़ितों की बेचारगी कुछ तो कम करो ।
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