चापलूस
कभी भी चले हुए
कारतूस नहीं होते।
जब वे चलते हैं
तो बड़ी तबाही करते हैं ।
यह यक़ीन जानिए।
वे जिसकी की जी हजूरी करते हैं,
उसे ही सब से पहले चलता करते हैं।
चापलूस से बचिए।
अपना काम संभल कर कीजिए।
मेहनतकश को प्रोत्साहित जरूर कीजिए।
उसे समुचित मेहनताना दीजिए।
जो कुछ आप काम करते हैं।
जिनके दम पर आप आगे बढ़ें हैं।
नाम और दाम कमाते हैं।
वह सारा काम कोल्हू के बैल करते हैं,
दिन रात अविराम मेहनत करते हैं।
चापलूस उनकी राह में रोड़े अटकाते हैं,
मौका मिलने पर निंदा चुगली कर उन्हें भगाते हैं।
आप बेशक चापलूसी करने वाले से खुश रहते हैं।
आप यह भी जानते हैं, वह जिंदा बम भी हैं,
पिस्तौल भी हैं और कारतूस भी।
वे चल भी जाते हैं और चलवा भी देते हैं।
आप कभी एक बम , पिस्तौल,कारतूस में बदल जाते हैं।
अपने वफादार को नुक्सान पहुंचा देते हैं,
इसे आप भी नहीं जान पाते।
आप चापलूसों से बच सकें तो बचिए।
कम से कम खुद को तो न एक कठपुतली बनाएं।
हो सके तो चापलूस की जासूसी करवाएं।
उसके खतरनाक मनसूबों से खुद को समय रहते बचाएं।
चापलूस सब को खुश रखते हैं,
बेशक बढ़िया कारगुज़ारी तो कोहलू के बैल ही कर पाते हैं।
निर्णय आप को करना है।
इन बमों ,पिस्तौलों और कारतूसों का क्या करना है ?
ये चापलूस बड़े शातिर और ख़तरनाक हैं।....
...और साथ अव्वल दर्जे के नाकाबिल,नाबरदाश्त, नालायक जी...वे जी,जी, करने वाले उस्ताद भी।
ये उस्तरे से होते हैं,
देखते ही देखते अपने काम को अंजाम दे देते हैं।
ये बड़ों बड़ों को औंधे मुंह गिरा देते हैं जी ।