आज ,अचानक, अभी-अभी,
श्रीमती जी ने मुझे चौंकाया है।
एक विस्मयकारी समाचार सुनाया है।
समाचार कुछ इस प्रकार है कि
शादी बर्बादी के सत्ताईस साल पूरे हो गए ।
शादी के समय मैं ठीक-ठाक लगता था ,
श्रीमती जी किसी विश्व सुंदरी से कम नहीं लगती थीं।
अब बरसों बाद
अपने को आईने में देखा,
तो मुझे जोर का झटका लगा, धीरे से लगा।
शादी के समय
मैं कितना खुश था
और आजकल वह खुशी काफुर है।
सोचता हूं ,
जो दंपत्ति वैवाहिक जीवन
भरपूर जी ले,
बहादुर है।
उस समय की सूरत और सीरत में
काफ़ी बदलाव आ चुका है,
हमारे जीवन से वसंत जा चुका है,
कब हमारे जीवन में
सुख दुख के मौसम आए और चले गए ,
जीवन की भाग दौड़ में कुछ पता ही ना चला।
आज यदि
श्रीमती जी
शादी की सालगिरह की
याद न दिलातीं
तो आज का दिन भी
जीवन की भूल भुलैया में खो जाता।
मैं अखबार पढ़ने, कविता लिखने में ही, सारा दिन गंवाता।
शुक्र है परमात्मा का
कि जीवन में श्रीमती के आने से
तना हुआ है सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का छाता।
श्रीमान जी,
कम से कम आप ना भूलना कभी
इस जीवन में अपनी शादी की सालगिरह
वरना नुकसान उठाना पड़ सकता है ,
बीवी के रूठने पर
उसे प्यार मनुहार से मनाना पड़ सकता है,
वैवाहिक जीवन ख़तरे में पड़ सकता है।
यह सच है कि
बुढ़ापे में पत्नी के बिना पति का दिल नहीं लगता ,
भले ही पति कितना ही भुलक्कड़ और घुमक्कड़ हो जाए ,
उसे चैन पत्नी से सुख-दुख की बातें करके ही आता है।
वैसे आजकल दिन भाग दौड़ में गुजर जाता है,
किचन में ही बर्तन मांजते समय ही पति ,पत्नी से खुलकर बातें कर पाता है।
लगता है
मैं कुछ भटक गया हूं,
जीवन में कहीं अटक गया हूं।
घर में ही मिलता है प्यार,
वरना यह तिलिस्मी है स्वार्थी संसार।
यदि आप विवाहित हैं , श्री मान जी,
तो
सदैव रखें पत्नी का ख्याल जी,
वरना मच सकता है बवाल।
विवाहित जीवन है एक अद्भुत मकड़ जाल।
ऐसा है कुछ मेरे जीवन का हाल ।