आज
देश नियंता पर
लगा रहा है कोई आरोप
तानाशाह होने का ।
उसे नहीं है पता ,
देश दुनिया संक्रमण काल से गुजर रही ।
बदमाश
सदाशयता पर हावी
होना चाहते हैं ,
उसे
घर की दासी समझते हैं ।
देश की बागडोर संभालना,
नहीं कोई है सरल काम,
इसकी राह में
मुश्किलें आती हैं तमाम ,
अगर उनसे ना सुलझा जाए,
तो अपूर्ण रह जाते सारे काम।
मुझे कभी-कभी
अपना पिता भी एक तानाशाह
जैसा लगता है ।
पर नहीं है वह एक तानाशाह ,
इस सच को हर कोई जानता है !
जानबूझकर अपनी अकड़ दिखाता है !!
जनता में सत्ताधारी की गलत छवि बनाता है।
संविधान खतरे में है ,जैसी बातें कहकर
जनता जनार्दन को मूर्ख बनाता है ।
क्या ऐसा करना
विपक्षी नेता को
सत्ता का सिंहासन दिला पाता है ?
बल्कि
ऐसा करने वाला
देश को गर्त में पहुंचाता है।
वह आरोप लगाने से पहले
अपने गिरेबान में झांके ।
तत्पश्चात
सत्ता के नेतृत्व कर्ता को
तानाशाह कहे ,
अपनी तानाशाही पर नियंत्रण करे।
आज असली तानाशाह
आरोप लगाने वाले हैं।
क्या ऐसा कर के
वे सत्ता के नटवरलाल
बनना चाहते हैं ?
मुझे बताओ।
आज मुझे बताओ।
असली तानाशाह कौन?
सत्ता पर काबिज व्यक्ति
या फिर आरोप लगाने वाला,
एक झूठा नारेटिव सेट करने वाला ?
मुझे बताओ। मुझे बताओ ।मुझे बताओ।
असली तानाशाह कौन ?
यदि इसका उत्तर पास है आपके,
शीघ्रता से मुझे बताओ।
अन्यथा गूंगे बहरे हो जाओ।
अब और नहीं
जीवन को उलझाओ।