आज
मैं अपने
परम प्रिय
मित्र और पुत्र
विनोद के घर में हूं ।
कल
मेरे परम आदरणीय,आदर्श अध्यापक,
मार्गदर्शक,
प्रेरणा पुंज,
अध्ययनशील
कुंदन भाई साहब जी की
अंत्येष्टि में
शामिल होना पड़ा।
अधिक देर होने की वजह से
एक आदर्श परिवार में रात बितानी पड़ी है।
आधी रात को
नींद उचट जाने के कारण
जग रहा हूं,
विनोद और उसके परिवार की
बाबत सोच रहा हूं ।
उन दिनों जब मैं संकटग्रस्त था
नौकरी के दौरान
सहयोगियों के
अहम् और षड्यंत्र का
शिकार बना था,
फलत:
मेरा तबादला
एक दूरस्थ, पिछड़े इलाके में
किया गया था,
वहां मेरा मन इतना रमा था कि
नौकरी के
अधिकांश साल
उस गांव टकारला को दे दिए थे।
वहीं मुझे मास्टर कुंदन लाल,
विनोद कुमार और ... बहुत सारे जीवनानुभव हुए ।
आदर्श अध्यापक और आदर्श परिवार की बाबत
जीवन के धरातल पर
समझने का
सुअवसर मिला।
इस परिवार में
अब पांच जीव हैं,
पहले से कुछ कम,
जीवन के उतार चढ़ाव ने
कुछ सदस्यों को काल ने
अपने भीतर समा लिया,
इस परिवार को कष्ट उठाने पड़े ,
आज यह परिवार
एक आदर्श परिवार
कहलाता है,
कारण ...
सभी सदस्यों के मध्य
परस्पर तालमेल है,
वे आपस में कभी लड़ते नहीं,
धन का अपव्यय
करते नहीं,
अन्याय के खिलाफ डटे रहते हैं।
पति पत्नी , दोनों
तीनों बच्चों को सुशिक्षित
बनाने के लिए
दिन रात
कोल्हू के बैल बने
चौबीसों घंटे मेहनत करके
जीविकोपार्जन करते हैं
और मुझ जैसे अतिथियों का
खिले मन से स्वागत करते हैं ।
ऐसे परिवार ही
देश, समाज, दुनिया को
समृद्ध करते हैं,
वे कर्मठता की मिसाल बन कर
जीवन में टिकाव लेकर आते हैं।
हमारी धरती स्वर्ग सम बने,
सुख की चादर सब पर तने, जैसे आदर्शों को
व्यावहारिक बनाते हैं।
ऐसे परिवार
संक्रमण काल की इस दुनिया में
कभी राम राज्य भी बनेगा,
सतत् इस बाबत आश्वस्त करते हैं।
आदर्श परिवार निर्मित करने की परिपाटी चला कर
राष्ट्र आगे बढ़ते हैं।