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Vanita vats Nov 12
I am watching a honey bee
Entering hearts of flowers
Searching for a heart which can offer her love  honey.
Vanita vats Nov 11
Her two puppies
Just saw when passing by
She gave me a alert look
I dropped curtains of my eyes
Vanita vats Nov 9
Had
Seen lavishly decorated house
With beautiful fall of light strings
With broken heart and doomed mind
Every bell on the door gives
him
false hope of her coming back with his kid
Vanita vats Nov 9
So many years
I saw a spark in his eyes and a genuine smile
After uploading his first poem on HP
कभी कभी
अप्रत्याशित घट जाता है
आदमी इसकी वज़ह तक
जान नहीं पाता है,
वह संयम को खुद से अलहदा पाता है
फलत: वह खुद को बहस करने में
उलझाता रहता है,वह बंदी सा जकड़ा जाता है।

कभी कभी
अच्छे भले की अकल घास
चरने चली जाती है
और काम के बिगड़ते चले जाने,
भीतर तक तड़पने के बाद
उदासी
भीतर प्रवेश कर जाती है।
कभी कभी की चूक
हृदय की उमंग तरंग पर
प्रश्नचिन्ह अंकित कर जाती है ।
यही नहीं
अभिव्यक्ति तक
बाधित हो जाती है।
सुख और चैन की आकांक्षी
जिंदगी ढंग से
कुछ भी नहीं कर पाती है।
वह स्वयं को
निरीह और निराश,
मूक, एकदम जड़ से रुका पाती है।

कभी कभी
अचानक हुई चूक
खुद की बहुत बड़ी कमी
सरीखी नज़र आती है,
जो इंसान को
दर बदर कर, ठोकरें दे जाती है।
यही भटकन और ठोकरें
उसे एकदम
बाहर भीतर से
दयनीय और हास्यास्पद बनाती है।
फलत: अकल्पनीय अप्रत्याशित दुर्घटनाएं
सिलसिलेवार घटती जाती हैं।
   १६ /१०/२०२४.
Vanita vats Nov 9
सुबह की गुनगुनी धूप में
दो बुढ़े गुनगुना रहे हैं गीत जीवन के
हाथ थामें सुलझा रहें हैं उलझनें इस जीवन की
Vanita vats Nov 9
नित
दिन भर की गरमी और भाग दौड़ से थकी
नन्ही मोतियों सरीखी ओस की बूदों से गुथी
रात की चादर उड़ा
अपनी प्रिया पृथ्वी को कर दुलार
कुछ गीत नए गुनगुना रहा
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