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Vikash Yadav Feb 2021
जिंदगी यानि तुम, एक कशमकश, बेखौफ हो इस हद ..
हंसाती हो बाहर से, अंदर से दफन, करती हो कब्र तक....
मरना होता इतना सरल तो , क्या मै सोचता इतना..
आसान भी नहीं यहां जीना , हस के हर सितम को पीना...
जिंदादिली का झूठा एक और खेल खेला जाए ..
..
क्यूं ना अच्छे से बर्बाद हुआ जाएं....
..
पैदा हुए तब से, आंखो में है कई सवाल...
क्यूं हो इतनी निष्ठुर और शून्य, है कोई जवाब...
उदासी भरे सपनों का, नहीं है कोई सबब..
जिंदा है तो जी रहे है, वरना है कोई तलब ?
जुए की तरह एक आखिरी दाव लगाया जाए..
..
क्यूं ना अच्छे से बर्बाद हुआ जाएं....
..
उसकी यानी वो, ख्वाहिशे इतनी कि पड़ जाओगी छोटी तुम...
क्यूं घबरा गई ना , मिलवा दे कभी उनसे तुम्हे हम..
है मुश्किल उसे समझना जितना, नहीं हो तुम भी कतई कम...
जुड़वा सी लगती हो दोनों, तरीका भी वही एकदम..
झूठे वादों की एक और तकरीर करी जाए....
..
क्यूं ना अच्छे से बर्बाद हुआ जाएं....
..
नहीं हूं निर्बल इतना, उठूंगा, बढूंगा मै एक- एक कदम..
चाल - ढाल, रंग - ढंग जितने बदल, ना होगा कोई सफल...
मौत है अच्छी तुझसे ज्यादा, ना तड़फाती है नरम - नरम..
जिऊंगा तुझको, रोंध के तेरा वक्ष , रख ना कोई वहम...
टूटे हुए सपनों को एक अंजाम दिया जाए....
..
बर्बाद तो तुम भी हो, बर्बाद मै भी हूं...
चलो, क्यों ना अच्छे से बर्बाद हुआ जाए....



कवि :- परेशान आत्मा / Confused Soul !
Pls guys....give support
Feb 2021 · 221
Martyr
Vikash Yadav Feb 2021
बेआबरू सा करके, रूआंसा सा बन के निकल लिए एकदम ।
बेजान सी पड़ी हूं, सारे सपने हो गए सारे गुम ।।
बालों की खुशबू, सांसो की सुंगध, मीठा सा वहम ।
सब साथ लेकर, ना जाने कहां चले गए तुम ।।
..
हद है .....
..
कभी हम साथ गुजरा करते थे उन कातिल राहों से ।
गांव के चौराहे से, नदी के किनारों से ।।
आज वो राहे रहीं ना तुम ।
बेअदब सा करके, ना जाने कहां चले गए तुम ।।
..
हद है ....
..
वादा था जो जन्मो तक, साथ निभाने का ।
हर वक्त, हर पल यादों में आने का ।।
क्यू ना आज फिर मैं भी तोड़ दू वो कसम ।
झूठे से ख्वाब देकर, ना जाने कहां चले गए तुम ।।
..
हद है....
..
तुम्हारे दिए हुए कंगन के साथ तोड़ डाले मैंने सारे भ्रम ।
कब की आस लिए बैठी थी, आने की तुम्हारे बलम ।।
कहते थे जो तुम, तेरे बिना निकलेगा ना हरगिज ये दम
तनहा कर, अकेला छोड़, इस दुनिया से ही चले गए सनम ।
..
हद है, ऐसे भी कोई जाता है क्या 😭

Written by:- Vikash Yadav
Feb 2021 · 97
It Happens
Vikash Yadav Feb 2021
I thought...🤔
it was serious & endless bond , while you were careless and merely fond....
We've had moments , enough to be bold
They all had pledged together for time to hold...
But let's tell them first who slithered and rolled....
..
Come on darling !..... it happens......
..
Remember...✌️
When we first met, allowed your head to rest.
Shared emotions, made promises till life next
Talked for months, dreams were so vast...
But let's tell them first who broke the trust...
..
Come on darling !..... it happens......
..
Yes, now i recall...😐
You called me *******, nonsense and rude..
First, how about discussing your attitude...
The other day, u made allegations, called me crude...
You must be happy now, how is your mood...
..
Come on darling ! ..... it happens......
..
I am broken but would stand for sure...
Don't you worry , i m gonna move...
You acted swindle, was it mine failure..
Congrats sir, you deserve a salute...👨🏻‍✈️
..
Now listen carefully..😡
I warn you...I challenge you...
Don't you dare to write something often...🔥
All i can say for now....
Come on darling ! ..... it happens......🤷‍♀️




Written By:-  Vikash Yadav
The girl reply back to the boy...
Sequal of last poem
Feb 2021 · 80
Unfaithful
Vikash Yadav Feb 2021
My mind is burning like the July...
But the heart wants to cry....
I have left with no pride...
And don't want to give one more try.....

She is nonsense, ******* and rude....
Wants to see my happiness getting *******...
I am pure and never went on that road
All she tried to destroy my inner core...

I wish...she holds me when i die
Make me awake with her fake eye..
Share her guilt, thought and fears..
trying to erase all with artificial tears...
i wanted to love you ..God swear..
But i will hate you ever ever and forever...
It's my first poem. In this poem, a boy makes allegation on her girlfriend who have cheated him. This is part 1. Girl will also reply to him in next part.
Criticism would help me to perform better next time. Suggestions r most welcome.

— The End —