Submit your work, meet writers and drop the ads. Become a member
180 · May 2020
confidence
Shikha narvariya May 2020
"आत्मविश्बास"
          (confidence)      
एक अजीब सा आत्मविश्बास भरा था उन लोगों में,
कि हम पैदल ही घर  चले जायेगे..
मीलो चलते रहे अपने होसलो के साथ,
कुछ आसुयो ओर कुछ पसीने के  साथ..
सिर्फ़ इस इन्तजार में एक दिन हम भी,
अपनो से मिलेगे जिनके लिए हम दूर थे..
एक अजीब सा आत्मविश्बास भरा था उन लोगों में,
कि हम पैदल ही घर  चले जायेगे..
भूखे प्यासे तय करते मीलो
कुछ अपने छूट गए बीच सफ़र में,
कुछ अनजाने अपने बन गए उस सफ़र में..
चलते चले गए मीलो अपने घर को,
हर दर्द दबाकर अपने अंदर..
एक अजीब सा आत्मविश्बास भरा था उन लोगों में,
कि हम पैदल ही घर  चले जायेगे...

— The End —