"एक अजीब लड़ाई छिड़ी है दूसरी आजादी की, इसमें अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देंगे हम। हमें कायर बुजदिल न समझो ऐ सियासत वालों, इस बार घोषित तुम्हारी हार कर देंगे हम। जीत जनता की ही होगी ये समझ लेना, अबकी बार ये हुंकार भर देंगे हम। कभी पैदा हुए थे शिवाजी और महाराणा प्रताप, आज महाकाली का कपाल भर देंगे हम।"