भाईयों और भौजाईयों, लालकिले की खाईयों और कुतुबमीनार की ऊंचाईयों, न तो मैं नेता हूँ और न ही अभिनेता, अभिनेता तो मुंबई में पाये जाते हैं, मुंबई में चश्मे भी मिलते हैं, यूँ के चश्मे तो हेमा मालिनी भी लगाती है, हेमा के पति का नाम धर्मेंद्र है, धरम प्राजी तो कुत्तों का खून पी जाते हैं, कुत्ते बड़े वफ़ादार होते हैं, वफ़ा तो मैं भी निभा लेता हूँ, और मैं बड़ा सीधा-सादा व्यक्ति हूँ, सीधा तो खंभा भी होता है, और खंभा तो कुत्ते को सहारा देता है, कुत्ते की एक ही पूँछ होती है, जो 6 महीने जमीन में दबा रहने पर भी टेढ़ी की टेढ़ी ही रहती है, बिल्कुल ऐसी ही कुछ नेताओं की अकल होती है, कितने ही मौके दे दो उनको, उनकी अकल घास ही चर रही होती है, इसलिए सब लोग मेरी बात कान खोलकर सुनो, निवेदन करता हूँ मैं कि सही नेता को ही चुनो।