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Jan 2014
ऐ मेरे नादां परिंदे,
सुन ले मेरी दास्तां।
दूर न जा और चुन ले,
अब मेरा ही रास्ता।

दुनिया तो है बड़ी जालिम,
और लोग हैं बुरे सारे।
महफूज नहीं जगह ऐसी,
जहां पर तू पंख पसारे।

सबसे अलग है अपनी मंजिल,
और अलग हैं इरादे।
चल दे अब तू साथ मेरे,
करके दुःख अपने आधे-आधे।

न होगी कोई तकलीफ तुझको,
मान ले ये यकीं मेरा।
साथ रखूँगा में यूं तुझको,
कि खुश रहेगा बसेरा तेरा।

साथ-साथ हम चलते-चलते,
अपनी मंजिल को पाएंगे।
एक दूजे के लिए मरकर,
हम यूं अमर हो जाएंगे।
Akshay 'Amrit'
Written by
Akshay 'Amrit'  Indore, India
(Indore, India)   
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