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Jan 2014
सभी भारतीयों और अप्रवासी भारतीयों को हमारे 65वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ। जय हिन्द। भारत माता की जय। इंक़लाब जिंदाबाद।**

अपने देश पर आधारित एक कविता पेश करता हूँ जो लगभग 3 साल पहले लिखी थी :-

देश मेरा महान है,
यही तो मेरा गान है।
हिमालय इसकी शान है,
जो करधनी के समान है।
पैरों में हिन्द महासागर की कमान है,
जो करता पाद-प्रक्षालन का काम है।
गंगा इसकी आन है,
जिसका जल अमृत के समान है।
यहाँ कोयले की खदान है,
जो करती इसका बखान है।
देश मेरा महान है,
यही तो मेरा गान है।

जन-गण-मन राष्ट्रीय गान है,
जो करता इसका सम्मान है।
कश्मीर इसका मान है,
जो इक स्वर्ग-सा जहान है।
ताजमहल सुंदरता का प्रमाण है,
जो करता इसका गुणगान है।
खेतों में फसलों का लहलहान है,
व जंगलों में पक्षियों का चहचहान है।
चाय-दूध यहाँ का पान है,
और दाल-रोटी खान है।
यहाँ इंजीनियर बनाते मकान हैं,
और खेतों में मेहनत करते किसान हैं।
देश मेरा महान है,
यही तो मेरा गान है।
Akshay 'Amrit'
Written by
Akshay 'Amrit'  Indore, India
(Indore, India)   
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