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दुनिया के भीतर
आदमी का सुरक्षा कवच
होती है मां
और मां को सुरक्षा
देता है उसका पुत्र।
मां ही
पुत्र की दृष्टि में
दुनिया के भीतर
सबसे सुंदर होती है
क्योंकि कि
मां पुत्र की
पहली शिक्षिका होती है
जिसके सान्निध्य में
जीवन का बीज
अंकुरित होता है
और यह पुष्पित पल्लवित भी
मां की अपार कृपा से होता है।
ममत्व की मूर्ति मां की आत्मा
पुत्र में बसती है
और पुत्र की कमज़ोरी
उसकी मां होती है।
पुत्र मां को दुखी नहीं देख सकता।
उसके लिए वह लड़ भी है पड़ता।
एक सच कहूं
पुत्र की नज़र में
मां की सुन्दरता
अनुपम होती है।
मां में कायनात बसती है।
मां में जीवन की खुशबू रहती है।
मां के न रहने पर
सुध बुध सुख की गठरिया
बिखर जाती है।
अकेले होने पर
मां बहुत याद आती है।
उसकी अनुभूति
जीवन की शुचिता की
प्रतीति कराती है।
मां होती है सबसे सुंदर
उसकी यादों में बसता है
भावनाओं  का समन्दर।
११/०५/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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     Srishti
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