दो देशों के युद्ध विराम में राष्ट्रीय प्रवक्ता के प्रेस विज्ञप्ति देने से पूर्व , प्रेस वार्ता में कुछ कहने से पहले किसी तीसरे राष्ट्र के राष्ट्रपति ने युद्ध विराम की बाबत ट्वीट कर दिया और सारा श्रेय ख़ुद लेने का प्रयास किया। इस बाबत आप क्या सोचते हैं ? क्या यह सही है ? मेरे यहां कुछ कहावतें हैं... दाल भात में मूसल चंद..! परायी शादी में अब्दुल्ला दीवाना...! इस तीसरे कौन के संबंध में हम सब को नहीं रहना चाहिए मौन वरना हमारी हैसियत होती जाएगी गौण। हमें मूसल चंद और अब्दुल्ला के हस्तक्षेप से बचना होगा। मित्र राष्ट्र और शत्रु राष्ट्र को द्विपक्षीय संवाद से अपना पक्ष एक दूसरे के सम्मुख रखना होगा। तीसरे की कुटिलता से स्वयं को बचाना होगा। वरना धोखा मिलता रहेगा। सरमायेदार अपना घर भरता रहेगा। देश दुनिया और समाज पिछड़ता रहेगा। आम आदमी सिसकता रहेगा। ११/०५/२०२५.