बस अचानक ही अख़बार तक को भी शत्रु पक्ष के साथ ही झेलनी पड़ जाती सर्जिकल स्ट्राइक। आधी रात को शत्रु के शिविरों पर सेना ने की मिसाइल अटैक से सर्जिकल स्ट्राइक। अख़बार इस से पूर्व ही गया था छप। अब जब इस बाबत पाठक को अख़बार की मार्फ़त मिलेगा समाचार , तब तक देर हो चुकी होगी। ताज़ा ख़बर बासी पड़ चुकी होगी। है न यह अख़बार पर सर्जिकल स्ट्राइक ! जैसे अख़बार की भी एक सीमा होती है ! ठीक वैसे ही सभी की ,होती है एक हद ! सब इसे समझें! खुद को गफलत में रहने से बख्शें !! ०७/०५/२०२५.