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May 6
देश
अब युद्ध के लिए
तैयार है ,
अब शत्रु पर
प्रहार के लिए
इंतज़ार है।

इस के लिए
हमें क्या रसद का
संग्रह करना चाहिए ?
इस बाबत
अपने बुजुर्ग से
पूछता हूँ...
उत्तर मिलता है
बिल्कुल नहीं !
देश पहले भी
आधी रोटी खाकर
युद्ध को लड़ चुका है।
इससे कुछ अधिक ही
देश भक्ति
और जिजीविषा का जज़्बा
देशवासियों में भर चुका है।
अब रणभेरी का इंतज़ार है।
युद्ध में जीतने का जुनून
सब पर सवार है।
देखना है अब आर पार की लड़ाई
किस करवट बैठेगी ?
विजयश्री किस प्रकार से
देशवासियों के अंतर्मन में झांकेगी ?
शहादत कितने युद्धवीरों की बलि मांगेगी ?
अब युद्ध
विशुद्ध युद्ध होगा।
इस युद्ध से जनमानस
प्रबुद्ध होगा।
हर जीत के बाद
देशवासियों का अंतर्मन
नैतिकता की दृष्टि से
शुद्ध होगा !
यह बिछड़े देशवासियों से
पुनर्मिलन का
एक ऐतिहासिक अवसर होगा।
सभी परिवर्तन के स्वागतार्थ आगे बढ़ेंगे।
वे अवश्य ही
विजयोत्सव की खातिर चिंतन मनन करेंगे ,
जीवन के आदर्शों की कसौटी पर
खरा उतरने की कोशिश करेंगे।
०६/०५/२०२५.
Written by
Joginder Singh
47
 
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