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May 6
पहले आदमी की सोच
नैतिकता से जुड़ी थी।
उसे हेराफेरी चोरी चकारी से
घिन आती थी।
आजकल
उसे यह सब आम लगता है।
वह अनैतिक भी हो जाए,
तो उसे बुरा नहीं लगता है।
उसकी सोच बन गई है कि
आजकल सब अच्छा बुरा चलता है।
कम से कम आदमी को आराम तो मिलता है।
मरने के बाद देखा जाएगा।
आज को तो ढंग से जी लो।
कल नाम कलह का,
वर्तमान को सुविधाजनक बना लो।
यही वजह है कि घूस का कीड़ा
आदमी के भीतर इस हद तक गया है घुस,
जो घूस लेता नहीं, वह आदमी लगने लगता मनहूस।
हेराफेरी,चोरी सीनाजोरी,लड़ना झगड़ना,
मकर फ़रेब, लूटमार,हत्या, बलात्कार तक के
दुष्परिणामों को वह नज़रअंदाज़ करता है,
उसे संवेदना के धरातल पर कुछ नहीं होता महसूस।
पशु भी संवेदना से बंधा है,
पर आज का आदमी निरा गधा बन चुका है।
आजकल वह चौबीसों घंटे अपना स्वार्थ साधने में लगा है।
०६/०५/२०२५.
Written by
Joginder Singh
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